आपको बता दें कि इस बार रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व को कोविड १९ के चलते १८ मार्च को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। इसके बाद अनलॉक वन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद इन्हें फिर से पर्यटकों के लिए खोला गया लेकिन दोनों ही स्थानों पर पर्यटकों की संख्या काफी कम रही। रणथंभौर में इनकी संख्या आधी से भी कम हो गई वहीं सरिस्का में तो पर्यटकों का आंकड़ा सैकड़े की संख्या को भी पार नहीं कर सका।
विभागीय सूत्रों के अनुसार रणथम्भौर नेशनल पार्क में पर्यटन बंद होने से 18 मार्च से 31 मई तक लगभग दो करोड़ तथा 30 मई तक पौने तीन करोड़ के राजस्व का सरकार को नुकसान हुआ है। यह सिर्फ ऑनलाइन बुकिंग से प्राप्त होने वाला राजस्व है। इसके अलावा करंट बुकिंग से सरकार को प्राप्त होने वाला राजस्व अलग है। यह तो सिर्फ सरकार के राजस्व का नुकसान है। इसके अलावा वाहन मालिक, वाहन चालक, गाइड, टिकट बुकिंग से जुड़े लोगों को होने वाला नुकसान अलग है।
आपको यह भी बता दें कि रणथंभौर और सरिस्का टाइगर रिजर्व घूमने के लिए पर्यटक एडवांस बुकिंग करवाते हैं लेकिन कोरोना के कारण दोनों पार्क बंद कर दिए गए और इन्हें 81 दिन के बाद 8 जून को फिर से खोला गया। एेसे में जिन पर्यटकों ने एडवांस बुकिंग करवाई थी उनके पैसे भी अटक गए थे। उन पर्यटकों का बुकिंग अमाउंट वन विभाग वापिस नहीं देगा। विभाग ने पर्यटकों को ऑप्शन दिया है कि वह चाहे तो अगले दो साल में कभी भी अपनी बुकिंग के बदले टाइगर सफारी कर सकते हैं। गौरतलब है कि वन विभाग के पास 18 मार्च से 30 जून के बीच बुकिंग करवाने वाले पर्यटकों का 4 करोड़ 14 लाख रुपए फंसा हुआ है। यह पैसा अब वापस नहीं किया जाएगा। अब पर्यटक दो साल में कोई भी तीन डेट चुन कर यहां आ सकेंगे।