बाघिन का हुआ बाघ से सामना
रणथम्भौर के जोन दो में गुरुवार को शाम की पारी में भ्रमण पर गए पर्यटकों को लाहपुर तिराहे के पास एक वाटर प्वाइंट के निकट बाघिन टी-60 अपने शावक के साथ पानी में बैठी हुई दिखी। बाघिन व शावक पानी में अठखेजिलयां कर रहे थे। इसी दौरान वहां पर मेल टाइगर टी-57 आ पहुंचा।
रणथम्भौर के जोन दो में गुरुवार को शाम की पारी में भ्रमण पर गए पर्यटकों को लाहपुर तिराहे के पास एक वाटर प्वाइंट के निकट बाघिन टी-60 अपने शावक के साथ पानी में बैठी हुई दिखी। बाघिन व शावक पानी में अठखेजिलयां कर रहे थे। इसी दौरान वहां पर मेल टाइगर टी-57 आ पहुंचा।
… और बाघिन ने ‘कलेजे’ को डुबो दिया
बाघ को देखते ही छोटे से शावक को बाघ से बचाने के लिए बाघिन ने उसे वाटर प्वाइंट के पानी में ही डुबो दिया। जब तक मेल टाइगर वहां से चला नहीं गया बाघिन ने शावक को पानी से बाहर नहीं निकाला। करीब तीन से पांच मिनट बाद बाघ के वहां से जाने के बाद बाघिन ने शावक को पानी से बहार निकला। ऐसे में काफी देर तक पानी में रहने के कारण शावक को सांस लेने में तकलीफ हुई।
बाघ को देखते ही छोटे से शावक को बाघ से बचाने के लिए बाघिन ने उसे वाटर प्वाइंट के पानी में ही डुबो दिया। जब तक मेल टाइगर वहां से चला नहीं गया बाघिन ने शावक को पानी से बाहर नहीं निकाला। करीब तीन से पांच मिनट बाद बाघ के वहां से जाने के बाद बाघिन ने शावक को पानी से बहार निकला। ऐसे में काफी देर तक पानी में रहने के कारण शावक को सांस लेने में तकलीफ हुई।
हालांकि पानी से बाहर आने के दस मिनट बाद शावक सामान्य हो गया। गौरतलब है कि शावक अप्रेल माह में ही पहली बार मां के साथ नजर आया था। यह शावक करीब चार माह का है।
… इधर, बाघ एसटी-16 की मौत पर रहस्य बरकरार
अलवर के सरिस्का बाघ परियोजना में शनिवार को एक बाघ ने दम तोड़ दिया। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ एसटी-16 की मौत ओवरडोज ट्रेंक्यूलाइज से हुई है, वहीं सरिस्का प्रशासन का मानना है कि बाघ की मौत का कारण हीट स्ट्रोक रहा है।
अलवर के सरिस्का बाघ परियोजना में शनिवार को एक बाघ ने दम तोड़ दिया। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ एसटी-16 की मौत ओवरडोज ट्रेंक्यूलाइज से हुई है, वहीं सरिस्का प्रशासन का मानना है कि बाघ की मौत का कारण हीट स्ट्रोक रहा है।
रणथंभौर से गत 15 अप्रेल को लाए गए बाघ की दोपहर बाद शाम करीब 4 बजे मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि बाघ की मौत के असल कारण क्या रहे, लेकिन बाघ की मौत जिस परिस्थिति में हुई है, उससे कई प्रकार की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं। इनमें कुछ वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी के समय में ट्रंक्यूलाइज करने एवं ओवर डोज होने से बाघ की मौत हुई है।
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि गर्मी में बाघ को ट्रेंक्यूलाइज करना खतरा भरा होता है। ज्यादा जरूरी होने पर छाया व पानी की पर्याप्त व्यवस्था के बाद ही बाघ को ट्रेंक्यूलाइज किया जाना चाहिए था। संभवत: सरिस्का में टं्रक्यूलाइज करते समय यह सब व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में नहीं थी, इस कारण बाघ की मौत हो गई।
पांव के इलाज के लिए किया था ट्रेंक्यूलाइज
बाघ एसटी- 16 के पांव में चोट के कारण वह कई दिनों से लंगडाकर चल रहा था। यह बाघ रणथंभौर से गत 15 अप्रेल को लाकर सरिस्का के एनक्लोजन में छोड़ा गया था। बाद में 22 अप्रेल को बाघ को एनक्लोजर से आजाद किया गया। तभी से बाघ पांव की चोट के कारण लंगडा रहा था।
बाघ एसटी- 16 के पांव में चोट के कारण वह कई दिनों से लंगडाकर चल रहा था। यह बाघ रणथंभौर से गत 15 अप्रेल को लाकर सरिस्का के एनक्लोजन में छोड़ा गया था। बाद में 22 अप्रेल को बाघ को एनक्लोजर से आजाद किया गया। तभी से बाघ पांव की चोट के कारण लंगडा रहा था।
हालांकि बाघ के पैर की चोट बीच में ठीक होने की सरिस्का प्रशासन ने जानकारी दी, लेकिन गत 28-29 मई को बाघ की साइटिंग के दौरान बाघ फिर लंगडाता दिखाई दिया और बाघ के पांव में गांठ (रसोली) भी दिखाई दी। हालांकि दो-तीन दिन पहले भी बाघ को लंगडाता देखा गया।
पांव में चोट व गांठ के इलाज के लिए सरिस्का प्रशासन ने बाघ को शनिवार सुबह करीब 9.30 बजे रोटक्याला में ट्रेंक्यूलाइज किया। सरिस्का प्रशासन का कहना है कि बाद में बाघ के पांव का इलाज कर पुन: रिवाइजल डोज दिया गया। इसके कुछ देर बाद वह खड़ा होकर करीब एक-डेढ़ किलोमीटर चला और रोटक्याला में बैठ गया। दोपहर बाद बाघ के मरने की खबर आई।