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पुलिस तफ्तीश में देरी से बढ़ रहा अपराधियों का हौंसला, जांच में देरी बलात्कारियों को पहुंचा सकती है लाभ

locationजयपुरPublished: May 16, 2019 08:54:55 pm

इस साल अप्रेल तक बलात्कार के 1509 में से 858 मामले लम्बित

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पुलिस तफ्तीश में देरी से बढ़ रहा अपराधियों का हौंसला, जांच में देरी बलात्कारियों को पहुंचा सकती है लाभ

मुकेश शर्मा / जयपुर। बलात्कार के मामलों में एफआइआर दर्ज करने में ढिलाई बरतकर तो पुलिस अपराधियों के हौसले बढ़ाती ही है, विशेषज्ञों की मानें तो एफआइआर दर्ज करने के बाद जांच लम्बित रखकर भी अपराधियों को लाभ पहुंचाया जाता है। जांच को गंभीरता से लेना और निश्चित समय अवधि में पूरा करना चाहिए। तब ही अपराधियों के खिलाफ वैज्ञानिक सबूत जुटाकर उन्हें सजा दिलाई जा सकती है। जांच लंबित होने से वैज्ञानिक सबूत के नष्ट होने की आशंका रहती है।

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यह है स्थिति
– 1509 प्रकरण दर्ज किए राजस्थान पुलिस ने वर्ष 2019 में बलात्कार के

– 302 प्रकरण झूठे मानकर बंद कर दिए
– 858 प्रकरण जांच के नाम पर लंबित


विशेषज्ञों का कहना
राजेन्द्र सिंह शेखावत, सेवानिवृत्त आरपीएस अधिकारी : पुलिस की ढिलाई के कारण एक तो पीडि़ता को न्याय देर से मिलता है, दूसरा कई बार वैज्ञानिक सबूत नष्ट होने से आरोपियों को लाभ मिलता है। आरोपी को खुला घूमता देखकर अन्य समाजकंटकों का हौसला बढ़ता है। पीडि़ता की तुरन्त मेडिकल जांच कराकर आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने चाहिए। एफएसएल जांच के लिए तुरंत सबूत एकत्र करना जरूरी होता है ताकि वैज्ञानिक सबूत नष्ट होने या नष्ट करने का मौका नहीं मिल सके।
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पीएन रछोया, सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी

पीडि़ता की मेडिकल जांच और न्यायाधीश के समक्ष सीआरपीसी 164 के तहत बयान कराने में तत्परता नहीं बरतने पर आरोपी पक्ष को सबूत मिटाने का मौका मिल जाता है। इससे समाजकंटकों के हौसले बढ़ते हैं, पीडि़ता को न्याय नहीं मिल पाता। सरकार को ऐसे मामले फास्ट ट्रेक कोर्ट में भेजने चाहिए ताकि न्याय शीघ्र मिल सके। खामी-कोताही सामने आने पर सिर्फ थानेदार नहीं बल्कि उच्च अधिकारियों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए।

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