उधर, सोमवार को पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मात्र बलात्कार के मामले का जांच अफसर बदलने और आत्मदाह की अलग से जांच कराने के निर्देशों के बारे में बताया। पीडि़ता द्वारा जांच में लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। बलात्कार के आरोपी की भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
बड़ा सवाल, पुलिस दे जवाब? गौर करने वाली बात है कि जब पुलिस की जांच में मामला सही नहीं था, तो उसमें एफआर क्यों नहीं लगाई? इतना ही नहीं, महिला की मौत के बाद सार्वजनिक कर उसे बदनाम किया है। इसको लेकर कई संगठनों ने नाराजगी जताई है।
पीडि़ता का पति बोला-पुलिस करती थी परेशान
पीडि़ता के पति का कहना है कि मामले की जांच के नाम पर पुलिस अक्सर परेशान करती थी। थाने जाने पर जांच चल रही है कहकर भेज देते थे। एसएचओ संतोषप्रद जवाब नहीं देते थे। पीडि़ता खुद थाने से सबूत देने आती थी। पीडि़ता ने 5 जून को फतेहपुर (सीकर) निवासी रविंद्र पर उसके साथ 2015 से बलात्कार करने का मामला दर्ज कराया था।
पुलिस का ‘लचर’ बचाव -पति-पत्नी में विवाद था। 2017 से दोनों अलग थे। कुछ महीनों पहले दोनों की तलाक की अर्जी कोर्ट में थी। छह महीने का टाइम मिला हुआ था।
– पुलिस पीडि़ता व आरोपी के बीच संबंध बता रही है। पीडि़ता ने आरोपी की सगाई तुड़वाने की कोशिश की थी।
आपसी सहमति से संबंध की बात सामने आई थी। पीडि़ता व उसका पति दो साल से अलग रह रहे थे। पुलिस ने पीडि़ता को कभी थाने के चक्कर नहीं कटवाए। किसी की लापरवाही सामने आई तो कार्रवाई होगी।
– आनंद श्रीवास्तव, पुलिस आयुक्त, पुलिस