scriptएसएमएस अस्पताल में हुआ दुर्लभ हर्निया का ऑपरेशन | Rare Hernia Operation, Sawai Mansingh Hospital, surgery | Patrika News

एसएमएस अस्पताल में हुआ दुर्लभ हर्निया का ऑपरेशन

locationजयपुरPublished: Jan 21, 2020 06:28:54 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

Rare Hernia surgery : जयपुर . Sawai Mansingh Hospital के डॉक्टरों ने हाल ही एक महिला व पुरुष के दुर्लभ Hernia Operation Laparoscopic Surgery से किया है। डॉक्टरों के अनुसार Leary Dipremetic Hernia एक बहुत Rare Congenital Deframatic Hernia है जो करीब 10 करोड़ में से एक एडल्ट में पाया जाता है और इसमें से केवल 50 प्रतिशत मरीजों को ही इसके लक्षण आने पर पहचाना जाता है।

Rare Hernia surgery
Rare Hernia surgery : जयपुर . सवाई मानसिंह अस्पताल ( Sawai Mansingh Hospital ) के डॉक्टरों ने हाल ही एक महिला व पुरुष के दुर्लभ हर्निया का ऑपरेशन ( Hernia Operation ) लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ( Laparoscopic Surgery ) से किया है। डॉक्टरों के अनुसार लेरी डिप्रेमेटिक हर्निया ( Leary Dipremetic Hernia ) एक बहुत रेयर कॉन्जेनिटल डिफ्रामेटिक हर्निया ( Rare Congenital Deframatic Hernia ) है जो करीब 10 करोड़ में से एक एडल्ट में पाया जाता है और इसमें से केवल 50 प्रतिशत मरीजों को ही इसके लक्षण आने पर पहचाना जाता है।

डॉ. सुमिता जैन ने बताया कि अस्पताल में 65 वर्षीय सायरा कंवर और 62 वर्षीय जोहरी लाल के यह ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के बाद दोनों बिलकुल स्वस्थ्य हैं। उन्होंने बताया कि डाइफ्राम पेट व छाती के बीच की एक झिल्ली है जो फेफडे और दिल को पेट की आंतों व जिगर से अलग रखती है। लेकिन इस हर्निया के कारण छाती पेट का कोई भी अंग जैसे स्टमक, बड़ी आंत, छोटी आंत या जिगर इस झिल्ली में छेद होने के कारण छाती में चला जाता है।

उन्होंने बताया कि इससे मरीज को सांस लेने में परेशानी आती है व पेट में दर्द रहता है। यदि इस बीमारी को समय पर नहीं पहचाना जाए तो छाती व पेट के अंग सड़ सकते हैं, यानि गैंगरीन हो सकता है जो जानलेवा होता है। इस तरह की परेशानी के पहले इस बीमारी को पहचानना व इसका सहीं समय पर ऑपरेशन करना जरूरी है। पहले इस तरह की बीमारी के लिए छाती या पेट को काटकर ऑपरेशन किया जाता था, लेकिन अब लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से केवल तीन या चार छेद से इसका सफल ऑपरेशन किया जा सकता है।

ऑपेरशन करने वाली डॉक्टरों की टीम में डॉ. लक्ष्मण अग्रवाल, डॉ. आशुतोष, डॉ. दीक्षा, डॉ. रामबाबू, डॉ. निशांत, डॉ. विवेक आदि शामिल थे।

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