दरअसल, चंद्रमा की दूधिया रोशनी के बीच ठीक नीचे शुक्र ग्रह चमकता नजर आ रहा था। कोई इसे खगोलीय घटना बता रहा है तो कोई इसे धार्मिक नजरिए से देख रहा है। वहीं चांद-तारों को एक साथ देखकर कोई रमजान के महीने में अल्लाह का चमत्कार बता रहा है तो कोई नवरात्रि पर देवी मां का चमत्कार बता रहा है।
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ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि शाम 4.05 बजे 0.1 डिग्री पर यह सबसे नजदीक रहा, इसके बाद चंद्रमा ऊपर की ओर बढ़ते नजर आया। चांद के साथ एक तारे की चमक लोगों को लुभाती रही। रात गहराने के साथ चमक भी बढ़ गई। चैत्र तृतीया के चंद्रमा के साथ शुक्र-चंद्र की युति होने से यह नजारा अद्भूत बन गया। सालभर में चंद्रमा-शुक्र एक राशि में होने से यह नजारा दो से तीन बार देखा जाता है। वर्तमान समय में शुक्र-चंद्रमा मेष राशि में है।
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अर्धचंद्र के नीचे बीच में एक तारा चमकता हुआ नजर आया है। ऐसा अद्भुत नजारा देश के कई शहरों में दिखाई दिया। जब लोग रमजान की शाम को चांद देखने के लिए आसमान की ओर देखने लगे, तब यह अद्भुत नजारा देखने को मिला। हालांकि, चंद्रमा के बहुत करीब दिखाई देने वाला तारा जैसा प्रकाश शुक्र है।