जयपुर। कोरोना जैसी राष्ट्रीय आपदा के चलते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश में दूसरी बार अपने सभी संघ शिक्षा वर्गों (प्रशिक्षण शिविरों) को स्थगित कर दिया है। देश में यह यह दूसरा मौका है जब संघ के प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के संघ शिक्षा वर्गों (प्रशिक्षण शिविरों) को स्थगित किया गया हैं। इससे पहले आपातकाल में भी संघ के प्रशिक्षण शिविर नहीं लगे थे। राजस्थान में 17 मई से 17 जून तक विभिन्न स्थानों पर प्रथम व द्वितीय वर्ष के ऐसे शिविर लगने थे।
अपने स्वयंसेवकों को बौद्धिक, शारीरिक व मानसिक दृष्टि से प्रशिक्षित करने के लिए संघ 1929 से हर साल ऐसे प्रशिक्षण शिविर लगाता है। इस बार ऐसे 92 शिविर लगने वाले थे जिनमें करीब 23 हजार से अधिक स्वयंसेवक शामिल होते। पिछले वर्ष 19 हजार स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया था। अखिल भारतीय स्तर पर तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण केवल नागपुर में लगता है। जबकि क्षेत्र के स्तर पर द्वितीय वर्ष, प्रांत के स्तर पर प्रथम वर्ष शिविर लगते हैं।
जयपुर प्रांत के 2 प्रथम वर्ष के प्रशिक्षण शिविर 17 मई से 17 जून तक लगने वाले थे। विद्यार्थियों का अलवर में और दूसरा व्यवसायी स्वयंसेवकों का झुंझुनूं में। इसके साथ ही घोष यानि वाद्य बजाने का प्रशिक्षण शिविर टोंक तथा द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण शिविर सवाईमाधोपुर में लगने वाला था। 40 साल से उपर की आयु के सेवाकार्यों में लगे स्वयंसेवकों का शिविर चित्तौड़गढ़ में लगना था।
एक सप्ताह का प्राथमिक शिक्षा वर्ग करने वाले स्वयंसेवकों को प्रथम वर्ष में भेजा जाता है जो सभी प्रांतों में लगता है। प्रथम वर्ष के प्रशिक्षित को द्वितीय वर्ष में भेजा जाता है। जिसमें दो या तीन प्रांतों स्वयंसेवक शामिल होते हैं। द्वितीय वर्ष शिक्षित को तृतीय वर्ष में भेजा जाता है जो केवल आरएसएस मुख्यालय नागपुर में लगता है। इसमें पूरे देश के स्वयंसेवक शामिल होते हैं। इसमें में राजस्थान से लगभग 100 कार्यकर्ता प्रतिवर्ष जाते हैं। 2018 में प्रणव मुखर्जी भी मुख्य अतिथि बतौर इसमें शामिल हुए थे। ये शिविर विभिन्न राज्यों में अप्रेल से जून तक सुबह चार से रात 10 बजे तक चलते हैं।