राठौड़ ने कहा कि सरकार पांच रुपए से लेकर 17 रुपए में बिजली खरीद रही हैं। कांग्रेस सरकार ये सब भार उपभोक्ताओं पर डालेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे गर्म प्रदेश में विंड और सोलर एनर्जी पर काम नहीं किया जा रहा। उलटा ऐसी बिजली पैदा करने वाली कंपनियों के अनुबंध रद्द किए जा रहे हैं। सरकार की नीतियां गलत है। सोलर और विंड एनर्जी का उपयोग कहां जा रहा हैं। यह सामने आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की रुचि सिर्फ बिजली खरीदने में रह गई हैं ताकि चांदी कूटी जा सके। सीएम अशोक गहलोत खुद को बचाने के लिए कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार कोयला नहीं दे रही।
कोयला सप्लाई करने वाली कंपनियों का बकाया चल रहा है। राज्य सरकार बकाया राशि नहीं दे रही हैं। सीएम गहलोत ने तो बिजली सरप्लस के सपने दिखाए थे। अब महंगी बिजली खरीदी जा रही है। आम जनता गर्मी में परेशान हो रही है। सरकार के दावे झूठे साबित हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान में जनता को सर्वाधिक महंगी बिजली मिल रही है। वहीं, उद्योग तो बिजली के लिए तरस गए हैं। सरकार किसानों को दिन में तारे दिखा रही हैं। उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सरकार कहती हैं कि हमारे पास 18 हजार मेगावाट बिजली है तो फिर 13 हजार मेगावाट पर ही हालत क्यों खराब हो गए ?