रवि प्रदोष का सीधा संबंध नवग्रहों के राजा सूर्य से होता है। रवि प्रदोष व्रत रखने से सूर्य संबंधी सभी दिक्कतें दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही शिवपूजा के कारण चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं और अच्छा फल देने लगते हैं। कुंडली में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो, वे नीच के हों तो रवि प्रदोष व्रत रखकर शिव व सूर्य पूजन जरूर करना चाहिए। रवि प्रदोष व्रत रखने से यश और सम्मान भी प्राप्त होता है। त्रयोदशी तिथि को तेरस भी कहा जाता है जिसके के शिव के साथ कामदेव भी माने जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार त्रयोदशी पर व्रत या पूजा करने को प्रदोष कहे जाने की भी रोचक वजह हैैं। इससे संबंधित एक कथा के अनुसार चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था जिसकी वजह से उन्हें मृत्युतुल्य कष्ट भोगने पड रहे थे। उन्होंने भगवान शिव से रोगमुक्ति के लिए प्रार्थना कीे। तक शिवजी ने क्षय रोग का निवारण कर उन्हें नवजीवन प्रदान किया। चंद्रमा को जिस दिन पुनर्जीवन प्रदान किया था उस दिन त्रयोदशी तिथि थी. यही वजह है कि इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
10 जनवरी 2021 को भी रवि प्रदोष है। इस दिन पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। 10 जनवरी यानि रविवार के दिन त्रयोदशी तिथि शाम 04 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होगी। त्रयोदशी तिथि 11 जनवरी यानि सोमवार के दिन दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में शिवपूजा का विधान है इसलिए 10 जनवरी को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन शाम को शिव परिवार की पूजा करें और चंद्र दर्शन व पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें।