आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2000 में अगस्त माह में आरबीआई का रेपो रेट 14.50 फीसदी था, जो कि अब तक का सबसे ऊंचा रेट है। 2000 से 2019 तक रेपो रेट का औसत 6.63 फीसदी रहा है। अप्रेल 2009 में रेपो रेट अब तक का सबसे कम 4.25 फीसदी था। रिवर्स रेपो रेट भी अगस्त 2000 में 13.50 फीसदी के साथ सबसे ऊपर और 3.25 फीसदी के साथ अप्रेल 2009 में सबसे निचले स्तर पर था।
गौरतलब है कि जून में समाप्त हुई तिमाही में देश की विकास दर 5 फीसदी पर पहुंच गई थी। यह पिछले 6 सालों के न्यूनतम स्तर की दर है। आरबीआई ने भी देश की विकास दर के पूर्वानुमान को 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की थी, जिनमें बैंकों का मर्जर, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, एफडीआई को लेकर नए नियम और हाउसिंग सेक्टर को लेकर कई एलान प्रमुख रहे।
अगर आपने 30 लाख का होम लोन 20 साल के लिए लिया है, तो ब्याज दर घटने के बाद आपकी ईएमआई मौजूदा 26,129.71 रुपए से घटकर 25,656 रुपए रह जाएगी और आपका कुल ब्याज 1,13,624 रुपए घट जाएगा।
रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) के लिए कर्ज देने की सीमा मौजूदा एक लाख रुपए से 25 हजार बढ़ाकर 1.25 लाख रुपए कर दिया। आरबीआई के इस कदम से ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में कर्ज की उपलब्धता बढ़ेगी। रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) या एमएफआई से लोन लेने वाले कर्जदारों के लिए घरेलू आय की पात्रता सीमा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मौजूदा एक लाख से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपए और शहरी एवं कस्बाई इलाकों के लिए 1.25 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रपए कर दिया है। आरबीआई ने कहा कि इस बारे में जल्द विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।