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छह महीने तक नहीं दिया ध्यान, अब करोड़ों का घी बना परेशानी

locationजयपुरPublished: Jul 25, 2018 08:04:47 pm

Submitted by:

Ashish Sharma

छह महीने तक नहीं दिया ध्यान, अब करोड़ों का घी बना परेशानी

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छह महीने तक नहीं दिया ध्यान, अब करोड़ों का घी बना परेशानी

जयपुर
करोड़ों रुपए के घी को खराब होने से पहले ही इसे खपाने में जुटे हुए डेयरी फेडरेशन को छह महीने पहले ही घी का स्टॉक लगातार बढ़ने से होने वाली परेशानी के लिए आगाह कर दिया गया था। आरसीडीएफ के मार्केटिंग एडवाइजर ने इसे लेकर पत्र भी लिखा था लेकिन आरसीडीएफ में वित्तीय सलाहकार के रवैये के चलते जनरल मैनेजर्स की कमेटी का निर्णय तक नजरअंदाज कर दिया गया। बाजार के हिसाब से कदम नहीं उठाए जाने से सरस ब्रांड का घी फेडरेशन के लिए अब परेशानी का सबब बना हुआ है। किसानों से दूध खरीदा जाता रहा, बाजार के हिसाब से घी के दाम कम नहीं किए गए। लेकिन अब सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अफसर के निर्देशन में पूरा डेयरी फेडरेशन जुटा हुआ है कि कैसे भी घी की शेल्फ लाइफ पूरी होेने से पहले इसे बाजार में खपा दिया जाए। ताकि बड़ा नुकसान होने से बचा जा सके।
दरअसल, राज्य के जिला दुग्ध संघों में पिछले साल सितंबर अक्टूबर से दूध की आवक बढ़ना शुरू हुई। जयपुर, भीलवाड़ा, अलवर और अजमेर जैसी बढ़ी डेयरियों को मिलाकर राज्य में जनवरी में हर रोज 36 लाख किलो दूध का संकलन किया हो रहा था। इसमें से 18 लाख 30 हजार किलो दूध ही बाजार में बिक रहा था जबकि बाकी बचे 16 लाख किलो दूध से रोज घी और मिल्क पाउडर बनने का सिलसिला शुरू हुआ। जो कि अभी आरसीडीएफ के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। घी का स्टॉक अधिक होने और दिसंबर में बने घी की शेल्फ लाइन अगस्त में पूरी होने के कारण इससे पहले ही इस घी को बाजार में खपाने के लिए आरसीडीएफ के अधिकारी दिन रात जुटे हुए हैं। ताकि बड़े नुकसान से बचा जा सके।
अफसर कर रहे मार्केटिंग
घी के स्टॉक को खपाने के लिए जयपुर में आरसीडीएफ के करीब 40 अधिकारी इन दिनों हॉस्पिटल्स, हॉस्टल, होटल्स, मिठाई की बड़ी दुकानों के साथ ही घी के बड़े खरीददारों के साथ चक्कर लगाकर घी का स्टॉक निकालने में लगे हुए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव खेमराज चौधरी खुद इस पूरे मामले की रोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
जनवरी में किया था आगाह
आरसीडीएफ में कई सालों की सेवा के बाद रिटायर हुए हीरालाल शर्मा को आरसीडीएफ ने सलाहकार मार्केंटिंक नियुक्त किया था। शर्मा ने जनवरी में ही पत्र लिखकर डेयरियों में रोज बढ़ रहे घी और मिल्क पाउडरों के स्टॉक के बारे में आगाह करते हुए मार्केटिंग पॉलिसी को रिव्यू करने के साथ ही कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। इन सुझावों में बाजार के हिसाब से हर सप्ताह घी की कीमतों का रिव्यू करने, नए डिस्ट्रीब्यूटर्स बनाने के साथ ही अन्य कई सुझाव दिए गए थे। इस साल मई तक आरसीडीएफ के पास 23 से साढे 23 हजार मीट्रिक टन मिल्क पाउडर और 17 से साढे 17 हजार मीट्रिक टन तक घी का स्टॉक होने का अनुमान भी लगाया गया था।
फाइनेंस अधिकारी ने नहीं मानी बात
सूूत्रों का कहना है कि इसके साथ ही घी के बड़े पैक पर प्रति लीटर 40 रुपए और कंज्यूमर पैक पर प्रति लीटर 20 रुपए कम का निर्णय जीएम कमेटी ने लिया था। कमेटी के सात मेंबर दाम घटाने के सुझाव से सहमत थे जबकि वित्तीय सलाहकार इससे सहमत नहीं थे। ऐसे में घी के दाम उस समय नहीं घटाए गए। हालांकि बाद में घी की शेल्फ लाइफ पूरी होने के डर से आरसीडीएफ ने घी को खपाने के लिए पिछले दिनों ही ओपन ट्रेड पॉलिसी जारी की है।
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