ट्वीट में कांग्रेस पार्टी के क्षेत्रीय क्षत्रपों पर निशाना साधते हुए लिखा गया है, किसी भी राज्य में कोई क्षत्रप अपने दम पर नहीं जीतता है। गांधी नेहरू परिवार के नाम पर ही गरीब, कमजोर वर्ग, आम आदमी का वोट मिलता है। मगर चाहे वह अमरिन्द्र सिंह हों या गहलोत या पहले शीला या कोई और! मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं कि उनकी वजह से ही पार्टी जीती। 20 साल से ज्यादा अध्यक्ष रहीं सोनिया ने कभी अपना महत्व नहीं जताया। नतीजा यह हुआ कि वे वोट लाती थीं और कांग्रेसी अपना चमत्कार समझकर गैर जवाबदेही से काम करते थे। हार जाते थे तो दोष राहुल पर, जीत का सेहरा खुद के माथे! सिद्धु को बनाकर नेतृत्व ने सही किया। ताकत बताना जरूरी था।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आते ही दोनों के बीच घमासान चल रहा है। पायलट एक बार अपने समर्थकों के साथ मानेसर में जाकर बगावत भी कर चुके हैं लेकिन बाद में प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप से पायलट की घर वापसी कराई गई। प्रभारी अजय माकन ने राजस्थान में हाल ही में माकन ने दो दिन का दौरा किया था। इसमें उनकी और गहलोत के बीच दो दिन लगातार बैठकें चली। इनमें दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक और संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर एक फार्मूला तैयार हुआ लेकिन लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल को लेकर बात फिर अटक गई है।