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पढ़े राजस्थान उच्च न्यायालय ने पक्षियों और पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या कहा

locationजयपुरPublished: May 18, 2020 10:18:03 pm

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की मौत का मामला पक्षियों की अप्राकृतिक मौत को रोकने के लिए बनाई गई नीति बताए सरकार— उच्च न्यायालय
पेड़ों की कटाई पर जिला कलेक्टर सहित अन्य से मांगा जवाब

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जयपुर।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से सांभर झील में प्रवासी और स्थानीय पक्षियों की अप्राकृतिक मौत को रोकने के लिए बनाई नीति पूछी है। उच्च न्यायालय ने स्वप्रेरित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नौ व दस मई को मृत मिले पक्षियों की मौत कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम करवाने के निर्देश भी दिए हैं। न्यायालय ने पक्षियों के इलाज व देखरेख के लिए अस्थाई नर्सरी स्थापित करने को भी कहा है।
बीते साल सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था। मामले में न्यायमित्र एडवोकेट नितिन जैन ने प्रार्थना पत्र दायर कर कहा था कि पिछले कुछ दिनों से सांभर झील में पुन: प्रवासी पक्षियों की मौत हो रही है। इसे रोकने के लिए संबंधित विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यहां तक की मौके पर पक्षियों की देखभाल के लिए नर्सरी तक नहीं है। नर्सरी के कई किलोमीटर दूर होने के कारण कई पक्षियों को एक साथ वहां भेजा जाता है। जिस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता गणेश परिहार कहा कि पक्षियों की अप्राकृतिक मौत के कारणों की जांच की जा रही है। इसके अलावा मौके से मृत पक्षियों को भी हटा दिया गया है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहान्ती और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मृत पक्षियों को हटाकर पोस्टमार्टम करने के साथ अस्थायी नर्सरी बनाने के आदेश दिए और सरकार से इस संबंध में नीति बनाते को कहा हे मामले पर तीन जुलाई को सुनवाई होगी।
पेड़ों की कटाई पर जिला कलेक्टर सहित अन्य से मांगा जवाब


दौसा के लालसोट में अवैध आरा मशीनों के संचालन और पेडों की कटाई के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किए हैं। न्यायालय ने दौसा कलक्टर, लालसोट एसडीएम, तहसीलदार, प्रदूषण नियंत्रण मंडल, जिला उद्योग अधिकारी और वन विभाग सहित अन्य से चार जून तक जवाब देने के आदेश दिए हैं। महेन्द्र सिंह गुर्जर ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि लालसोट में बडी संख्या में पेडों की कटाई हो रही है और इन पेडों को सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध आरा मशीनों तक पहुंचाया जा रहा है। जेवीवीएनएल से आटा चक्की के नाम पर बिजली कनेक्शन लेकर आरा मशीने चलाई जा रही है। काश्तकारी अधिनियम के तहत किसान खेत जोतने के लिए तहसीलदार दोगुने पेड लगाने की शर्त के साथ अधिकतम पांच पेड ही काटने की अनुमति दे सकता है। अवैध पेड़ों की कटाई से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत माहान्ती और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर जवाब देने के आदेश दिए।
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