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लोगों को दिलाओ सुविधा, रीयल एस्टेट कानून नहीं मानने वालों को सजा

locationजयपुरPublished: Mar 01, 2018 01:04:07 pm

Submitted by:

Priyanka Yadav

राज्य मानवाधिकार आयोग ने एसीएस की कमेटी बनाने के दिए निर्देश।

Jaipur News
जयपुर . राज्य मानवाधिकार आयोग ने जयपुर के निवारू सहित पूरे पृथ्वीराज नगर क्षेत्र में नियमन के बावजूद पानी, बिजली व सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं होने पर गंभीरता दिखाई है। साथ ही, नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। कमेटी से 6 माह में रिपोर्ट देने और सरकार से दो माह में रिपोर्ट पर निर्णय करने को कहा गया है।
सुविधाएं नहीं पहुंचने का मामला

4 साल से विचाराधीन होने के बावजूद हालात नहीं सुधरने पर गंभीरता दिखाई है। आयोग का कहना है कि आवासीय योजना चाहे सरकारी हो या निजी उनमें सुविधाएं पहुंचाने व विकास के लिए जिम्मेदारी तय की जाए। योजनाओं में विकास की अनदेखी पर सजा दिलवाकर उसका प्रचार-प्रसार करने को भी आयोग ने कहा है। जेडीए के अनुसार क्षेत्र में सीवरेज के लिए हर साल 50 करोड़ रुपए दिए जाएंगे, इसमें ही 10 साल लग जाएंगे।
मुख्य सचिव को भेजा आदेश

लए आयोग ने आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भेजते हुए नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाने की सिफारिश की है। इसमें नगरीय विकास विभाग व स्वायत्त
सचिव स्तर के अधिकारी, जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता, मुख्य नगर नियोजक व विद्युत निगम के मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारियों को शामिल करने के निर्देश दिए हैं।

एक-दूसरे पर टालते हैं काम
कॉलोनियों के विकास के लिए लोगों से पैसा लिया जाता है, लेकिन लोग सडक, बिजली व पानी को तरसते हैं। पानी, बिजली व सडक के साथ ही लोगों को पार्क, खेल मैदान, स्कूल, कॉलेज, बाजार व बैंक की सुविधा भी लोगों को मिलनी चाहिए।
सैंकडो करोड़ जमा

आयोग ने कहा कि नियमन से सरकारी कोष में सैंकड़ों करोड़ रुपए जमा हुए हैं, लेकिन लोगों को मूलभूत सुविधा अब भी नहीं मिल पाई हैं। पृथ्वीराज नगर योजना 1848 बीघा में है और अब 432 कॉलोनी अनुमोदित हो चुकी हैं, लेकिन अब तक यह भी तय नहीं है कि विकास के लिए कुल कितनी राशि की आवश्यकता है, कितनी राशि आ चुकी है और विकास कैसे होगा। लोग चक्कर लगा रहे हैं। टाउनशिप नीति पर हो विचार आयोग ने कहा कि 2010 की टाउनशिप नीति पर पुनर्विचार किया जाए और जहां संशोधन की आवश्यकता हो बदलाव किया जाए। नीति में समयबद्ध विकास का प्लान तैयार किया जाए और उसका पालन कराया जाए।
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