यूं जूझना पड़ रहा काउंटर पर अस्पताल में मरीजों को तीन बार कतारों में लगना पड़ता है। जहां पहले मरीजों या उसके परिजनों को पर्ची काउंटर पर पर्ची कटाने के लिए जूझना पड़ता है। वहीं डॉक्टर को दिखाने के लिए लंबी कतारों में सब्र का इम्तिहान देना पड़ता है। जबकि जांच के बाद निशुल्क दवा काउंटर कतार से दो-चार होना पड़ता है। कतार में लगे मरीजों को यह भी पता नहीं होता है कि दवा काउंटर उसे दवा मिलेगी भी या नहीं। जब देर तक इंतजार करने के बाद उसका नंबर आता है तो दवा नहीं मिलने पर उसे निराश होकर लौटना पड़ता है। अस्पताल में पर्ची के दो काउंटर हैं। जहां कई बार सर्वर डाउन हो जाने पर परेशानी झेलनी पड़ती है।
फार्मासिस्ट एक, दवा काउंटर दो जानकारी के अनुसार अस्पताल में रोजाना 800 की ओपीडी हो रही है। जहां एक फार्मासिस्ट के सहारे ही दवा वितरित की जा रही है। हालांकि दो दवा काउंटर है लेकिन दूसरे काउंटर पर फार्मासिस्ट नहीं होने से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि चाकसू विधायक लक्ष्मी नारायण बैरवा ने अस्पताल को सेटेलाइट का दर्जा तो दिला दिया लेकिन सेटेलाइट होने के बावजूद भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।