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मरीज निशुल्क दवा की लेकर आ रहे आशा, मिल रही ‘निराशा’

locationजयपुरPublished: Jul 14, 2018 12:59:58 pm

Submitted by:

Deendayal Koli

चाकसू सेटेलाइट अस्पताल उजागर कर रहा मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना की हकीकत

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मरीज निशुल्क दवा की लेकर आ रहे आशा, मिल रही ‘निराशा’

जयपुर

राज्य सरकार की ओर से करीब सात साल पहले शुरू की गई मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना दम तोड़ रही है। सरकार इस योजना पर सालाना करोड़ों रुपए खर्च भी कर रही है। बावजूद इसके दवा काउंटर पर मरीजों को दवा की जगह केवल निराशा हाथ लग रही है। यह हकीकत उजागर कर रहा है चाकसू उपखंड क्षेत्र का सेटेलाइट अस्पताल। जहां अस्पताल के काउंटर पर बहुत कम दवाएं ही मिल रही हैं। जबकि शेष दवाएं बाहर से लेने के लिए कह दिया जाता है। मरीजों का कहना है कि पूरी दवाएं नहीं मिलने से ऐसा लगता है कि बहुत जल्द ये दवाएं भी देना बंद हो जाएगा। जबकि मेडिकल से दवाएं खरीदना गरीब तबके के लोगों के बूते से बाहर होता है। जब यह योजना शुरू हुई थी तब अस्पताल में आने वाले मरीजों को बाहर की दवा लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। लेकिन अब हालात बदतर हो चुके हैं। दूसरी तरफ हाल ही में दो डॉक्टरों के तबादले के कारण मरीजों को जांच कराने में भी परेशानी हो रही है। क्योंकि उनके स्थान पर दूसरे डॉक्टर नहीं आए हैं।
यूं जूझना पड़ रहा काउंटर पर

अस्पताल में मरीजों को तीन बार कतारों में लगना पड़ता है। जहां पहले मरीजों या उसके परिजनों को पर्ची काउंटर पर पर्ची कटाने के लिए जूझना पड़ता है। वहीं डॉक्टर को दिखाने के लिए लंबी कतारों में सब्र का इम्तिहान देना पड़ता है। जबकि जांच के बाद निशुल्क दवा काउंटर कतार से दो-चार होना पड़ता है। कतार में लगे मरीजों को यह भी पता नहीं होता है कि दवा काउंटर उसे दवा मिलेगी भी या नहीं। जब देर तक इंतजार करने के बाद उसका नंबर आता है तो दवा नहीं मिलने पर उसे निराश होकर लौटना पड़ता है। अस्पताल में पर्ची के दो काउंटर हैं। जहां कई बार सर्वर डाउन हो जाने पर परेशानी झेलनी पड़ती है।
फार्मासिस्ट एक, दवा काउंटर दो

जानकारी के अनुसार अस्पताल में रोजाना 800 की ओपीडी हो रही है। जहां एक फार्मासिस्ट के सहारे ही दवा वितरित की जा रही है। हालांकि दो दवा काउंटर है लेकिन दूसरे काउंटर पर फार्मासिस्ट नहीं होने से मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि चाकसू विधायक लक्ष्मी नारायण बैरवा ने अस्पताल को सेटेलाइट का दर्जा तो दिला दिया लेकिन सेटेलाइट होने के बावजूद भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
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