शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ( Govind Singh Dotasara ) ने बताया कि गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के भवन, नाम, वर्ग, माध्यम परिवर्तन आदि से संबंधित मामलों के दिशा निर्देश जारी नहीं होने से ऎसे प्रकरणों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी। इसे देखते हुए इस संबंध में राज्य सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि निजी शिक्षण संस्थाओं के भवन, नाम, वर्ग, माध्यम परिवर्तन आदि के कार्य अब प्रतिवर्ष मई-जून माह में ही किये जाएंगे।
उन्होंने बताया कि किसी गैर सरकारी शिक्षण संस्थान का नाम परिवर्तन करने योग्य होने पर ही राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति जारी की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्थानीय विद्यालय के नाम पर अथवा उससे मिलता-जुलता नाम रखने की स्वीकृति राज्य सरकार द्वारा नहीं दी जाएगी।
राज्य सरकार के स्तर पर गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के अंतर्गत किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए औचित्य सहित प्रबन्ध कार्यकारिणी का प्रस्ताव आवश्यक होगा। परिवर्तन के लिए शिक्षक अभिभावक परिषद की सहमति भी आवश्यक होगी।
मंत्री डोटासरा ने बताया कि विद्यालय एक समय में किसी एक बोर्ड की संबद्धता से ही संचालित किया जा सकेगा। यदि किसी दूसरे बोर्ड से संम्बद्धता प्राप्त की जाती है तो पूर्व बोर्ड से प्राप्त सम्बद्धता स्वतः ही समाप्त हो जायेगी। छात्र विद्यालय को सह-शिक्षा विद्यालय में परिवर्तन की स्वीकृति निर्धारित राशि जमा कराने पर ही दी जा सकेगी। छात्रा विद्यालय को सहशिक्षा में परिवर्तन करने पर निर्धारित राशि के अतिरिक्त 50 हजार रुपये जमा कराने पर स्वीकृति दी जायेगी।
परिवर्तन शुल्क निर्धारित, हर शिक्षण संस्थान के लिए अलग है दर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अंतर्गत शिक्षण संस्थान विद्यालय के हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तन की स्वीकृति के लिए आवेदन कर सकते है।
गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के मान्यता नियमों के अंतर्गत किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए प्रति परिवर्तन शुल्क प्राथमिक स्तर पर 10,000 रुपये, उच्च प्राथमिक स्तर पर 20,000 रुपये, माध्यमिक स्तर पर 40,000 रुपये एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय स्तर पर 50,000 रुपये निर्धारित किये गये हैं। किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए पूर्व सैद्धान्तिक स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने के लिए विभाग बाध्य नहीं होगा।
ये भी जारी हुए निर्देश – School स्थान परिवर्तन के मामलों से संबंधित दिशा निर्देशों के बारे में जानकारी देते हुए शिक्षा मंत्री डोटासरा ने बताया कि गैर सरकारी विद्यालय का भवन स्वयं का होने पर भवन परिवर्तन की स्वीकृति नहीं दी जायेगी। प्राथमिक विद्यालय ( Primary Schools ) एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय ( Upper Primary School ) के मध्य में ही एक किलोमीटर एवं 2 किलोमीटर से अधिक दूरी के स्थान परिवर्तन के प्रस्तावों पर विद्यालय में आरटीई के तहत अध्ययनरत बालकों की 8वीं कक्षा तक के शुल्क को राजकोष में जमा कराने पर स्थान परिवर्तन की स्वीकृति प्रदान की जायेगी।
– जारी दिशा निर्देशों में यह भी कहा गया है कि आरटीई ( Right to Education ) नियमों के मापदण्ड़ों से अधिक दूरी के 5 किलोमीटर तक के प्रस्ताव प्रस्तुत करने पर आरटीई के तहत निःशुल्क अध्ययनरत बालकों के आवागमन की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराते हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय स्तर तक 10,000 रुपये एवं माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक 20,000 रुपये प्रति किलोमीटर अतिरिक्त शुल्क कि राशी राजकोष में जमा कराने के उपरान्त स्वीकृति दी जावें।
– विद्यालय भवन के परिवर्तन की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद ही विद्यालय भवन निर्मित किया जा सकेगा। किराये के भवन को रजिस्टर्ड किरायानामा प्रस्तुत करने पर भवन परिवर्तन की स्वीकृति दी जाएगी। सार्वजनिक निर्माण विभाग के सहायक अभियन्ता अथवा उससे उच्च स्तर के अभियन्ता से ही नये भवन का प्रमाणित ब्ल्यू प्रिन्ट और भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।
– साथ ही RTE के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों के लिये विद्यालय को स्वंय पर विद्यार्थियों के लिए नये विद्यालय भवन तक आवगमन की निःशुल्क व्यवस्था करनी होगी। जारी दिशा निर्देशो के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा आरक्षित कोष (बालिका शिक्षा फाउण्डेशन) के लिये गैर सरकारी शिक्षण संस्थान की नवीन मान्यता निर्धारित राशि तय समयावधि में जमा ना करये जाने की स्थिति में प्रति 30 दिवस के अन्तराल में 25 हजार रुपये विलम्ब शुल्क की राशि मूल राशि में सम्मिलित कर Demand Draft से राजकोष में जमा करवाने पर प्रकरण नियमित किया जायेगा।
– शैक्षिक सत्र 2019-20 तक के लम्बित प्रकरणों में 10 हजार प्रति 30 दिवस के अन्तराल में विलम्ब शुल्क देय होगा। इसी प्रकार आरक्षित कोष की राशि का भी निर्धारित अवधि में जमा ना कराये जाने की स्थिति में प्रति 30 दिवस के अन्तराल में 25 हजार रुपये विलम्ब शुल्क राजकोष में डिमाण्ड ड्राफ्ट से राजकोष में जमा करवाने पर प्रकरण नियमित किया जायेगा।
दो पारी में संचालित करने पर ये रहेगा शुल्क नए जारी नियमों के अनुसार विद्यालय यदि दो पारी में संचालित किया जाता है तो निर्धारित शुल्क के अतिरिक्त उच्च प्राथमिक विद्यालय स्तर तक एक लाख रुपये एवं माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय स्तर पर 3 लाख रुपये जमा करवाने पर स्वीकृति प्रदान की जाएगी। वर्तमान में चल रहे दो पारी शिक्षण संस्थाओं से तीन माह में उक्त शुल्क वसूल किये जाएंगे। विलम्ब करने पर 10 हजार रुपये प्रति 30 दिवस के शास्ति शुल्क वसूल किया जाएगा।