फ्लैश बैक:
डिस्कॉम्स और अडानी पावर राजस्थान लि. के बीच अनुबंध हुआ। कंपनी ने राजस्थान के कवई में 1320 मेगावाट का प्लांट लगाया।
कोयला भुगतान मामले में आरईआरसी ने कंपनी के पक्ष में फैसला दिया।
ऊर्जा विकास निगम इसके खिलाफ एपिलिएट ट्रिब्यूनल पहुंचा। ट्रिब्यूनल ने निर्णय आने तक 70 प्रतिशत भुगतान के आदेश दिए।
निगम सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने 50 प्रतिशत भुगतान के आदेश दिए। यह राशि करीब 2700 करोड़ है। इसमें मूल राशि 2288.40 करोड़ और ब्याज 420.96 करोड़ बना।
सितम्बर,2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अडानी पावर के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके खिलाफ पुनर्विचार यचिका दायर की थी।
डिस्कॉम्स और अडानी पावर राजस्थान लि. के बीच अनुबंध हुआ। कंपनी ने राजस्थान के कवई में 1320 मेगावाट का प्लांट लगाया।
कोयला भुगतान मामले में आरईआरसी ने कंपनी के पक्ष में फैसला दिया।
ऊर्जा विकास निगम इसके खिलाफ एपिलिएट ट्रिब्यूनल पहुंचा। ट्रिब्यूनल ने निर्णय आने तक 70 प्रतिशत भुगतान के आदेश दिए।
निगम सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने 50 प्रतिशत भुगतान के आदेश दिए। यह राशि करीब 2700 करोड़ है। इसमें मूल राशि 2288.40 करोड़ और ब्याज 420.96 करोड़ बना।
सितम्बर,2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अडानी पावर के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके खिलाफ पुनर्विचार यचिका दायर की थी।
दावा से दूर हकीकत दावा
ऊर्जा विभाग के अफसर एग्रीमेंट से जुड़े चेंज इन लॉ धारा पर मुख्य रूप से जोर देते रहे। दावा किया गया कि कंपनी कोयला कहीं से भी मंगवाए, उसे भुगतान अनुबंध अनुसार निर्धारित दर से ही किया जाएगा। जबकि, अडानी पावर दावा करता रहा है कि कोयला उपलब्ध ही नहीं कराया गया। उसे इंडोनेशिया व स्थानीय स्तर पर कोयला मंगवाना पड़ा, जिसके लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ा। कंपनी ने यही अंतर राशि डिस्कॉम्स से मांगी।
ऊर्जा विभाग के अफसर एग्रीमेंट से जुड़े चेंज इन लॉ धारा पर मुख्य रूप से जोर देते रहे। दावा किया गया कि कंपनी कोयला कहीं से भी मंगवाए, उसे भुगतान अनुबंध अनुसार निर्धारित दर से ही किया जाएगा। जबकि, अडानी पावर दावा करता रहा है कि कोयला उपलब्ध ही नहीं कराया गया। उसे इंडोनेशिया व स्थानीय स्तर पर कोयला मंगवाना पड़ा, जिसके लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ा। कंपनी ने यही अंतर राशि डिस्कॉम्स से मांगी।
हकीकत
अडानी पावर राजस्थान लि. और डिस्कॉम्स के बीच हुए पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) में कोयला उपलब्ध कराने और खरीद दर स्पष्ट होने के बावजूद ऊर्जा विकास निगम सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखने में नाकाम रहा। इस बीच अफसरों से लेकर सरकार तक की अनुबंध की प्रावधान की मनमानी व्याख्या भारी पड़ी।
अडानी पावर राजस्थान लि. और डिस्कॉम्स के बीच हुए पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) में कोयला उपलब्ध कराने और खरीद दर स्पष्ट होने के बावजूद ऊर्जा विकास निगम सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखने में नाकाम रहा। इस बीच अफसरों से लेकर सरकार तक की अनुबंध की प्रावधान की मनमानी व्याख्या भारी पड़ी।
पुनर्विचार याचिका किस कारण से खारिज हुई है, इसका अध्ययन किया जा रहा है। आगे के विकल्प पर कानूनविदों से राय ले रहे हैं। इसके बाद ही स्थिति साफ होगी।
दिनेश कुमार, ऊर्जा सचिव
दिनेश कुमार, ऊर्जा सचिव