जिला अस्पताल, पीएचसी ने जारी ही नहीं किए अनुभव प्रमाण पत्र 1534 पदों पर निकाली थी भर्ती, दस्तावेजों का सत्यापन भी हो चुका है
जयपुर. प्रदेश में दो साल से प्रयोगशाला सहायक की भर्ती अटकी हुई है। इस चलते लैब में स्टाफ की काफी कमी के साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं, जबकि इन भर्तियों के लिए दस्तावेजों का सत्यापन हो चुका है। एक वर्ष पहले सत्यापन पूर्ण होने के बाद अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि जल्दी ही भर्तियां होंगी, लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी भर्तियां नहीं हो पाई हैं।
वर्ष 2018 में प्रयोगशाला सहायक की 1534 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। इन पदों पर दो साल पहले अगस्त-सितंबर में स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन किया जा चुका है। भर्ती के लिए सरकार द्वारा वित्तीय स्वीकृति भी दी जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने भी इस भर्ती को करने के लिए सभी मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी एवं जिला अस्पतालों को अनुभव प्रमाण पत्र पुन: प्रमाणित करने के लिए कई बार आदेश जारी किए हैं। वहीं, सीएचसी, पीएचसी, जिला अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों से पुन: प्रमाणीकरण के दस्तावेज का सत्यापन करके नहीं भेज रहे हैं, जिसके कारण अनुभव प्रमाण पत्र समय पर स्वास्थ्य विभाग नहीं पहुंच रहे हैं। इसका खामियाजा अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना में प्रदेशभर से करीब 1800 र्कािर्मक आठ वर्षों से इन पद पर काम कर रहे हैं।
अखिल राजस्थान प्रयोगशाला सहायक सीधी भर्ती संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक सुनील कुमार तिवारी और प्रदेशाध्यक्ष मनीष मुद्गल ने कहा कि चिकित्सा विभाग में इन पदों की कमी से सीएचसी, पीएचसी और जिला अस्पतालों में जांच व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है। इस कारण मरीजों को निजी लैबों में जांच कराने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सरकार से कई बार भर्तियों को भरने की मांग कर चुके हैं लेकिन भर्तियां नहीं की जा रही हैं।
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