प्रदूषण को लेकर एनजीटी (
National Green Tribunal (NGT) ) लगातार निर्देश दे रही है। इसके बावजूद समस्या कम होने की बजाय बढ़ रही है। जयपुर नगर निगम समेत प्रदेश के अन्य शहरी और ग्रामीण इलाकों में डंपिंग यार्ड में प्लास्टिक के ढेर नजर आने लगे हैं। कुछ दिनों पहले जयपुर में गायों की मृत्यु का कारण प्लास्टिक बनकर उभरा। प्लास्टिक के बढ़ते प्रदूषण के खतरे को ध्यान में रखते हुए बोर्ड अब प्लास्टिक के हर तरह के रैपर और पाउच पर निगाह जमा रहा है। बोर्ड ने सीमेंट, फर्टिलाइजर, खाद्यान्न, नमकीन, चिप्स, बिस्किट, खाद्य तेल, दालें समेत अन्य तरह की सामग्री बेचने वाली बड़ी और छोटी 73 कंपंनियों को नोटिस दिए। इन कंपंनियों को निर्देश दिए गए है कि बाजार में जितना प्लास्टिक इन्होंने पहुंचाया है, उसे फिर से एकत्र करें। वहीं लोगों को खाली रैपर लौटाने के बदले कंपंनियों को निर्धारित राशि भी देनी होगी।
बोर्ड का यह है एक्शन प्लान -कंपंनियों को रैपर एकत्र करने के लिए संग्रहण केंद्र बनाने होंगे -31 अक्टूबर तक सभी प्रकार के रैपर का मूल्य निर्धारण-31 दिसंबर तक सामान की कीमत के साथ खाली रैपर का मूल्य लिखना होगा
-31 दिसंबर तक बाजार में किसी भी कंपंनी द्वारा भेजे गए कुल प्लास्टिक का 15 फीसदी वापस लेना – सीमेन्ट फैक्ट्री पहुंचेगा प्लास्टिक : लोगों से प्लास्टिक के खाली रैपर एकत्र करने के बाद कंपंनियों को इसे सीमेन्ट फैक्ट्री भेजना होगा। सीमेन्ट फैक्ट्री में प्लास्टि का उपयोग ईधन के तौर पर होगा।
यह है नियम प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत जो भी कंपनी या फर्म बाजार में प्लास्टिक रैपर या पैकेट में सामान आपूर्ति करती है, उसकी जिम्मेदारी है कि वह सभी रैपर और पैकेट को फिर से एकत्र करें। इसके बाद एकत्र प्लास्टिक को सीमेन्ट फैक्ट्री को भेजने का प्रावधान है। ऐसा नहीं करने पर बोर्ड उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
20 खाली पैकेट देने पर मिलेगा एक ब्रेड का पैकेट प्लास्टिक के खिलाफ अभियान ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। कोटा में एक कंपंनी ने ब्रेड के 20 खाली पैकेट लौटाने पर ब्रेड का पैकेट या 5 रुपए नकद देने की योजना शुरू कर दी है। सरस डेयरी भी पहल कर रही है। अन्य कंपंनियों ने शपथ प्लास्टिक वापस लेने की शपथ ली है।
शैलजा देवल, सदस्य सचिव, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोड