: स्कूल खुलने के बाद विद्यार्थियों से केवल ट्यूशन फीस ही जाए।
: कोविड को देखते हुए सरकार ने पहली से 8वीं के बच्चों को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है ऐसे में जब इस संबंध में निर्णय होगा तब पढ़ाए जाने वाले कोर्स के मुताबिक फीस ली जाएगी।
: तय होने वाला शुल्क अभिभावक एक से तीन माह में जमा करवा सकेंगे।
: विद्यार्थी जिन सुविधाओं का उपयोग नहीं कर रह जैसे लैब, स्पोट्र्स, लाइब्रेरी आदि उनकी फीस भी नहीं ली जाएगी।
: स्कूल में विद्यार्थी की उपस्थिति के लिए अभिभावकों की लिखित सहमति जरूरी होगी।
: अगर स्टूडेंट्स स्कूल की बस सुविधा का उपयोग करता है तो उसे परिवहन फीस देनी होगी।
: स्कूल को परिवहन बस आदि के लिए सरकार की गाइडलाइन की पालना करनी होगी।
: स्कूल खोले जाने से पहले स्कूल की ओर से ऑनलाइन टीचिंग करवाई जा रही थी जिसका उद्देश्य दक्षता संवर्धन था इसलिए स्कूल की ओर से निर्धारित कैपेसिटी बिल्डिंग फीस अभिभावकों को देनी होगी। यह शुल्क निर्धारित शिक्षण शुल्क का 60 फीसदी होगा।
: ऑनलाइन टीचिंग के लिए अभिभावकों की सहमति जरूरी होगी। तभी उनके यह फीस ली जा सकेगी।
: स्कूल खुलने के बाद स्कूल का दायित्व होगा कि वह ऑनलाइन पढ़ाई नहीं करने वाले स्टूडेंट्स को बोर्ड की ओर ये
तय किए गए कोर्स और निर्देशों को पूरा करवाएं।
: यह कैपेसिटी बिल्डिंग फीस मासिक किश्तों में ली जा सकेगी।
: गत वर्ष का निर्धारित कुल शुल्क और शिक्षण शुल्क नहीं बढ़ाया जा सकेगा।
: हर अभिभावक को उसके द्वारा भुगतान किए गए शिक्षण शुल्क और कैपेसिटी बिल्डिंग शुल्क की रसीद देनी होगी।
: राजस्थान विद्यालय फीस का विनियमन अधिनियम 2016 और नियम 2017 के अनुसार स्कूल स्तर पर गठित
स्कूल फीस कमेटी की ओर से निर्धारित फीस ही मान्य होगी। जिसमें शुल्क की विभिन्न मदों जैसे शिक्षण शुल्क,
लाइब्रेरी फीस आदि की स्पष्ट जानकारी देनी होगी।
: किसी भी विद्यार्थी को बोर्ड परीक्षाओं के रजिस्ट्रेशन से नहीं रोका जा सकेगा, भले ही उसने ऑनलाइन क्लास नहीं ली हो या फीस का भुगतान नहीं किया होग, इनकी टीसी भी नहीं काटी जा सकेगी।
: अगर कोई स्टूडेंट टीसी लेना चाहता और उसने पूर्व ऑनलाइन क्लास ली है तो उसकी ओर से ली गई क्लास के
मुताबिक कैपेसिटी बिल्डिंग फीस ली जा सकेगी।
: गैर सरकारी स्कूलों में कार्यरत कार्मिकों और टीचिंग स्टाफ की छटनीं नहीं होगी और उन्हें निर्धारित वेतन दिया जाएगा।