किरोड़ी ने सरकार से मांग की है कि एसओजी अब मेरे दिए गए अन्य तथ्यों पर भी जांच करे। मीणा ने कहा कि इस प्रकरण में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारौली और जिला कॉर्डिनेटर प्रदीप पाराशर की अहम भूमिका है। ऐसे में दोनों को पूछताछ कर गिरफ्तार करना चाहिए।
डॉ मीणा ने यह भी कहा कि परीक्षा से पहले 24 सितंबर को बोर्ड अध्यक्ष जारौली शिक्षा संकुल में आए थे और प्रदीप पाराशर के साथ शिक्षा के मंदिर में दोनों ने पार्टी भी की। इसी दौरान संकुल के स्ट्रांग रूम से पेपर लीक कराए गए। सांसद ने कहा कि प्रदीप पाराशर ने चार निजी कर्मचारियों को मौखिक रूप से लगाया, जिनके जरिए पेपर लीक कराया गया। इन्हीं चार में से एक रामकृपाल मीणा है। बाकी तीन निजी कॉलेज के कर्मचारी हैं। मीणा ने इन तीनों की गिरफ्तारी जल्द से जल्द करने की मांग की है।
बोर्ड अध्यक्ष को सत्ता का संरक्षण
मीणा ने कहा कि बोर्ड अध्यक्ष को सत्ता का संरक्षण मिला है। तभी तो उन्होंने सामने आए तथ्यों का जबाव देने के बजाय मेरा इस्तीफा मांग रहे थे। राजनीतिक बयानबाजी करने वाले और पेपर लीक प्रकरण में मिले बोर्ड अध्यक्ष को गिरफ्तार करना चाहिए। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि सरकार अपनी उर्जा नौकरी हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाले बेरोजगारों के भविष्य के बारे में सोचने के बजाय पेपर लीक करने वालों को बचाने में खर्च कर रही है।
मीणा ने कहा कि बोर्ड अध्यक्ष को सत्ता का संरक्षण मिला है। तभी तो उन्होंने सामने आए तथ्यों का जबाव देने के बजाय मेरा इस्तीफा मांग रहे थे। राजनीतिक बयानबाजी करने वाले और पेपर लीक प्रकरण में मिले बोर्ड अध्यक्ष को गिरफ्तार करना चाहिए। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि सरकार अपनी उर्जा नौकरी हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाले बेरोजगारों के भविष्य के बारे में सोचने के बजाय पेपर लीक करने वालों को बचाने में खर्च कर रही है।
सरकार कितनी भी कोशिश कर ले, सच छिपेगा नहीं। सांसद मीणा ने यह भी आरोप लगाया कि रीट पेपर फर्जीवाड़े में सरकार के एक मंत्री, शिक्षा विभाग से जुड़े एक आईएएस अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने रीट पेपर प्रिंट कराने के लिए एक प्रिंटिंग प्रेस को टेंडर दिलवाने में भूमिका अदा की। इतना ही नहीं, इसके एवज में मंत्री और आइएएस अधिकारी के बीच बड़ी राशि का बंटवारा हुआ।
एसओजी पर निशाना साधा
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने रीट पेपर लीक प्रकरण की जांच कर रही एसओजी पर भी निशाना साधा। मीणा ने कहा कि सबूत देने के बाद भी एसओजी के अधिकारियों ने भजनलाल को पकड़ने में तीन महीने लगा दिए। उन्होंने कहा कि एसओजी के जांच अधिकारी ने भजनलाल की बहन से उसे निर्दोष साबित करने के लिए रिश्वत का सौदा किया, लेकिन मेरे धरना देने के बाद तुरंत भजनलाल की गिरफ्तारी कर ली गई। उन्होंने कहा कि एसओजी की खुद की थाली में ही छेद है।किरोड़ी ने कहा कि रिश्वत के सबूत एसओजी एडीजी को मिलकर सौपूंगा।
राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने रीट पेपर लीक प्रकरण की जांच कर रही एसओजी पर भी निशाना साधा। मीणा ने कहा कि सबूत देने के बाद भी एसओजी के अधिकारियों ने भजनलाल को पकड़ने में तीन महीने लगा दिए। उन्होंने कहा कि एसओजी के जांच अधिकारी ने भजनलाल की बहन से उसे निर्दोष साबित करने के लिए रिश्वत का सौदा किया, लेकिन मेरे धरना देने के बाद तुरंत भजनलाल की गिरफ्तारी कर ली गई। उन्होंने कहा कि एसओजी की खुद की थाली में ही छेद है।किरोड़ी ने कहा कि रिश्वत के सबूत एसओजी एडीजी को मिलकर सौपूंगा।
परीक्षा से पहले पेपर पहुंचा—
किरोड़ी मीणा ने कहा कि रीट पेपर पूरे राजस्थान में परीक्षा से पहले ही पहुंच गया, जिसे एसओजी भी मान रही है। मीणा ने कहा कि जोधपुर में तो करीब पांच हजार लोगों के पास पेपर पहुंचा। मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री और तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने कहा था कि पेपर लीक जैसी कोई बात नहीं है, उन्होंने मुझ पर राजनीति करने के आरोप लगाए। लेकिन ये पेपर लीक के आरोप अब सच साबित हो गए हैं। प्रदेश के 16 लाख अभ्यर्थियों को सरकार ने धोखा दिया है। किरोड़ी ने कहा कि यह बहुत बड़ा घोटाला है, जिसमें सरकार के मंत्री, अफसर और बोर्ड अध्यक्ष और कांग्रेस के कार्यकर्ता की मिलीभगत है। ऐसे में मेरा मानना है कि एसओजी इस प्रकरण में बड़े मगरच्छों पर हाथ नहीं डाल सकती। ऐसे में इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाए।
किरोड़ी मीणा ने कहा कि रीट पेपर पूरे राजस्थान में परीक्षा से पहले ही पहुंच गया, जिसे एसओजी भी मान रही है। मीणा ने कहा कि जोधपुर में तो करीब पांच हजार लोगों के पास पेपर पहुंचा। मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री और तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने कहा था कि पेपर लीक जैसी कोई बात नहीं है, उन्होंने मुझ पर राजनीति करने के आरोप लगाए। लेकिन ये पेपर लीक के आरोप अब सच साबित हो गए हैं। प्रदेश के 16 लाख अभ्यर्थियों को सरकार ने धोखा दिया है। किरोड़ी ने कहा कि यह बहुत बड़ा घोटाला है, जिसमें सरकार के मंत्री, अफसर और बोर्ड अध्यक्ष और कांग्रेस के कार्यकर्ता की मिलीभगत है। ऐसे में मेरा मानना है कि एसओजी इस प्रकरण में बड़े मगरच्छों पर हाथ नहीं डाल सकती। ऐसे में इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाए।