राठौड़ ने कहा कि जिस तरह रीट पेपर लीक प्रकरण में एसओजी के अनुसंधान के बाद 35 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। उनमें बड़े प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी शामिल रहे एवं कई मुख्य अभियुक्तों के कांग्रेस नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध भी सामने आए हैं। गहलोत सरकार में ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों की मिलीभगत व उनके संरक्षण के बिना इस तरह पेपर लीक नहीं हो सकता।
नकल माफिया पर लगाम लगाने में विफल राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार के राज में लाइब्रेरियन, एसआई व जेईएन भर्ती परीक्षाओं के भी पेपर लीक हुए, लेकिन सरकार नकल माफिया गिरोह पर लगाम नहीं लगा सकी है। सरकार ने 17 अक्टूबर 2021 को नया नकल अध्यादेश लाने की घोषणा की थी, लेकिन यह भी धरातल पर नहीं आ सका। अगर अध्यादेश पूर्व में सरकार लाती तो सरकारी अधिकारी-कर्मचारी की संलिप्तता मिलने पर उन्हें बर्खास्त किया जाता।
जारौली की भूमिका पर संदेह राठौड़ ने कहा कि रीट पेपर लीक प्रकरण में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। इन्होंने अपने खास गैर सरकारी व्यक्ति प्रदीप पाराशर को जयपुर का को-ऑर्डिनेटर बना दिया, जबकि शेष सभी जिलों में सरकारी व्यक्ति को कॉर्डिनेटर बनाया गया था। स्पष्ट है, रीट परीक्षा पेपर को सुनियोजित साजिश के तहत लीक करवाया गया और बड़ी संख्या में युवाओं को 8-12 लाख रुपये लेकर पेपर बेचा गया।