इन सभी बिंदुओं को शामिल कर विस्तृत मॉडल बनाने के लिए एक प्रदेश स्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा। यह कमेटी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं के अनुसार उनका वर्गीकरण कर उनके फायदे और नुकसान का आंकलन भी करेगी। दरअसल, राज्य सरकार ने बड़े अस्पतालों में रेफरल सिस्टम शुरू करने का प्रावधान राइट टू हेल्थ के मसौदे में शामिल किया है। उसके तहत सरकार ने ये तैयारियां शुरू की है।
यह होगा इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में नेशनल मेडिकल कमीशन ने सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग शुरू करने की स्वीकृति भी दी है। इसके बाद मरीजों को अलग-अलग विभागों में चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। विभाग के लिए सीनियर व जूनियर चिकित्सक शिक्षकों की पूरी यूनिट होगी। न्यूरो, कार्डियोलॉजी, मेडिसिन और सर्जरी सहित अन्य विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम मौजूद रहेगी। हालत ठीक होने पर संबंधित विभाग में भर्ती करवाया जाएगा।
… रेफरल और हाइब्रिड मॉडल के लिए चर्चा चल रही है। यह बड़ा विषय है, इसे शुरू करने के बाद किसी तरह की परेशानियां नहीं आए, इसके लिए डॉक्टर्स की कमेटी बनाने का निर्णय हुआ है, जो इसका पूरा मॉडल तैयार करेगी। एसएमएस में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की भी स्वीकृति मिल गई है।
वैभव गालरिया, प्रमुख शासन सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग …. इमरजेंसी का स्वरूप अब बदल जाएगा। रेफरल और हाइब्रिड मॉडल पर मंथन चल रहा है। इमरजेंसी मेडिसिन विभाग शुरू होने से मरीजों को इमरजेंसी में बेहतर देखभाल मिलेगी।
डॉ.सुधीर भंडारी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर