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निजी विश्वविद्यालयों में अनियमितताएं रोकने के लिए विनियामक आयोग बनाया जाएगा

locationजयपुरPublished: Feb 19, 2020 09:01:45 pm

Submitted by:

Prakash Kumawat

प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में हो रही अनियमितताएं और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नियामक आयोग बनाया जाएगा। प्रदेश के जिन निजी विश्वविद्यालयों की शिकायतें मिली है, उनका परीक्षण करवाया जा रहा है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि निजी विश्वविद्यालयों में अनियमितताएं रोकने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विनियामक आयोग बनाने के लिए अतिशीघ्र कार्यवाही की जाएगी।

Regulatory commission to be created to prevent irregularities in priva

निजी विश्वविद्यालयों में अनियमितताएं रोकने के लिए विनियामक आयोग बनाया जाएगा

निजी विश्वविद्यालयों में अनियमितताएं रोकने के लिए विनियामक आयोग बनाया जाएगा
उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी ने की घोषणा
जयपुर
प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों में हो रही अनियमितताएं और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नियामक आयोग बनाया जाएगा। प्रदेश के जिन निजी विश्वविद्यालयों की शिकायतें मिली है, उनका परीक्षण करवाया जा रहा है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि निजी विश्वविद्यालयों में अनियमितताएं रोकने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विनियामक आयोग बनाने के लिए अतिशीघ्र कार्यवाही की जाएगी।

विधानसभा में उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए निजी विश्वविद्यालयों की कार्यशैली एवं उनके द्वारा की जा रही अनिमियत्ताओं पर हुई चर्चा के जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री भाटी ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़े, फीस पर नियंत्रण हो और विद्यार्थियों का शोषण न हो। इसके लिए हमने विनियामक आयोग गठन करने का वादा किया था। पहले भी विनियामक आयोग बनाने के लिए समिति का गठन कर विषय विशेषज्ञों की राय ली गई थी, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। हम इसके निष्कर्षों का अध्ययन कर रहे हैं और विभिन्न विश्वविद्यालयों की शिकायतों का परीक्षण एवं अन्य राज्यों के आयोगों का अध्ययन करवा रहे हैं। राजस्थान में 2007 में निजी विश्वविद्यालय स्थापना की गाइडलाइन जारी की गई थी। हम सभी विश्वविद्यालयों पर अंगुली नहीं उठा सकते हैं, हालांकि कुछ विश्वविद्यालयों की शिकायतें मिलती रहती हैं, जिन्हें रोकने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि 2004 में राजस्थान में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात केवल 6.04 था, जो 2018-19 में बढ़कर 23 हो गया है। 2004 में अनुसूचित जाति वर्ग में यह अनुपात 7 था जो बढ़कर अब 20 हो गया है। इसी तरह अनुसूचित जनजाति वर्ग में 2004 में अनुपात 4.81 था जो अब बढ़कर 21.5 हो गया है। अनुसूचित जनजाति वर्ग में सकल नामांकन अनुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है। जहां इस वर्ग का राष्ट्रीय औसत 17.2 है वहीं राजस्थान का 21.3 है। प्रदेश के लगातार बढ़ते नामांकन अनुपात में निजी विश्वविद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण है। अभी उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में 14 राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालय तथा 51 निजी विश्वविद्यालय है।
इससे पहले हुई चर्चा में सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों ने निजी विश्वविद्यालयों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए निजी विश्वविद्यालयों के द्वारा फर्जी डिग्रियां देने, मनमानी फीस वसूलने, यूजीसी के नियमों की पालना नहीं करने जैसे आरोप लगाए।

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