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सास ने किडनी देकर बहू को दिया नया जीवन

locationजयपुरPublished: Aug 29, 2018 01:44:51 am

सास हो तो एेसी

सास ने किडनी देकर बहू को दिया नया जीवन

सास ने किडनी देकर बहू को दिया नया जीवन

बाड़मेर.

सास-बहू के किस्से कहानियां खूब सुने हैं। कहीं सास-बहू की तू-तू मैं-मैं तो कहीं रिश्तों में कमोबेश तल्खियां अक्सर सुनी होंगी। लेकिन मिठास घुले तो एेसी कि मां-बेटी का रिश्ता बन जाता है। बाड़मेर में एेसा ही एक कुछ हुआ, जिससे ये रिश्ता खास बन गया। बहू की किडनी जवाब दे गई, मौत नजर आने लगी। एेसी में सास फरिश्ता बनकर जीवन में आई और बहू को अपनी किडनी देकर उसकी जान बचाई है। चार बेटियों की यह मां कहती है कि बहू और बेटी में क्या फर्क है? यह भी तो मेरे बेटे के लिए जीती है और मैं भी उस पर जान छिडक़ती हूं। शहर के राय कॉलोनी में रहती है शांतिदेवी भूतड़ा। गृहिणी और सामान्य परिवार की महिला। चार बेटियां और तीन बेटों का भरापूरा परिवार। परिवार में सबकुछ खुशहाल था लेकिन सालभर पूर्व छोटी बहू आशादेवी की तबीयत खराब हुई और चिकित्सकों ने कहा किडनी फेल हो गई है। अब नई किडनी चाहिए। परिवार के सभी सदस्यों ने तय किया कि जैसे-तैसे किडनी का इंतजाम करेंगे लेकिन आशा की जिंदगी बचानी है। इस दौरान बहू की बीमारी की बातें सुन रही ६५ वर्षीय शांतिदेवी ने कहा कि किडती तो मैं दे दूंगी। सहसा किसी को विश्वास नहीं हुआ लेकिन इस सास ने अपनी बहू के लिए यह संकल्प ले लिया। इसके बाद किडनी मैच हुई और सास ने अपनी बहू को नई ङ्क्षजदगी दे दी। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद दोनों सास-बहू एक-एक किडनी के सहारे जी रही हैं।
सचमुच मां है मेरी सास
किडनी देकर मेरी सास ने सास-बहू के रिश्ते को वास्तव में मां-बेटी का रिश्ता बनाया है। शरीर का एक हिस्सा देकर उन्होंने मुझे जिंदगी दी है। मुझे मेरी सास से बहुत स्नेह है। – आशादेवी भूतड़ा
बहू को बेटी मानती हूं
बहू और बेटी में क्या फर्क है? मैं तो बहू को बेटी के समान ही मानती हूं। मेरे परिवार पर संकट आया तो इसका समाधान भी मिलकर करना था, बस इसी सोच से कर लिया। -शांतिदेवी भूतड़ा

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