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कुंड है या कूड़ादान?

locationडूंगरपुरPublished: Apr 19, 2016 09:43:00 pm

एक तरफ राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान प्रदेश में चला रही है,

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ओबरी।एक तरफ राज्य सरकार जल संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान प्रदेश में चला रही है, वहीं कई जल स्त्रोत आज भी संरक्षण की बांट जोह रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण ओबरी का सूर्य कुण्ड है। कस्बे का हृदय स्थल व धर्म-कर्म का साक्षी ऐतिहासिक सूर्य कुण्ड संरक्षण के अभाव में इन दिनों कूड़ादान बन गया है। ग्राम पंचायत की अनदेखी से इसमें अपशिष्ट पदार्थ व गन्दगी डाली जा रही है, जिससे इसका पानी दूषित हो रहा है। वर्तमान में सूर्य कुण्ड में पानी सूखता जा रहा है व फिलहाल एक गड्ढ़े में चुल्लू भर ही पानी रह गया है।

11 अप्रैल को सूर्य कुण्ड की सीढिय़ों से उतर कर धोबी घाट होते हुए रपट से यादव बस्ती में बने रिंगवॉल के उद्घाटन के लिए गई सागवाड़ा विधायक, प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी सूर्य कुण्ड की बदहाल दशा पर नहीं गया। पुरुषों के कुंड में पानी सूखने की कगार पर है। महिलाओं के कुण्ड में मिट्टी व कचरे का अंबार है। छोटे कुण्ड के तीनों गोमुखों से सदियों से निरन्तर बहती आ रही पवित्र जलराशि का उपयोग पहले लोग भगवान की प्रतिमाओं के अभिषेक करने में करते थे। गोमुख के इर्द-गिर्द भी गंदगी की भरमार है। कांतिलाल सरिया सहित अन्य ने डूंगरपुर के गेपसागर के लिए नगर परिषद की ओर से उठाए गए कदम की तर्ज पर सूर्य कुण्ड के लिए भी पहल करने की मांग की है।

पत्रिका ने चलाया था अभियान


सूर्यकुण्ड के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए राजस्थान पत्रिका की ओर से अमृतम् जलम् अभियान के तहत ग्रामीणों व ग्राम पंचायत के सहयोग से 2012 में श्रमदान किया गया था। अभियान से इसका स्वरुप निखर गया था। सचिव वीरेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि सूर्य कुंड के सौन्दर्यीकरण के लिए पूर्व में रिंगवॉल व साफ-सफाई के लिए मनरेगा के तहत बजट आया था। फिलहाल कोई बजट नहीं है। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में काम कराने की योजना प्रस्तावित है।
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