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7 लाख पट्टों के लिए फ्री होल्ड पट्टों पर सार्वजनिक सूचना की अनिवार्यता खत्म

locationजयपुरPublished: Dec 06, 2021 11:39:05 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

चिंता में सरकार

7 लाख पट्टों के लिए फ्री होल्ड पट्टों पर सार्वजनिक सूचना की अनिवार्यता खत्म

7 लाख पट्टों के लिए फ्री होल्ड पट्टों पर सार्वजनिक सूचना की अनिवार्यता खत्म

भवनेश गुप्ता
जयपुर। पट्टों की रेवड़ी बांटने की जल्दबाजी में सरकार ने एक बार फिर प्रशासन शहरों के संग अभियान में रियायत दी है। पुरानी आबादी क्षेत्र के फ्री होल्ड पट्टों के प्रकरणों में अब सार्वजनिक सूचना जारी करने की अनिवार्यता खत्म कर दी है। अब ऐसे मामलों में सूचना प्रकाशित करना जरूरी नहीं होगा। नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। इससे प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। आपत्ति—सुझाव लेने के दौरान कई मामलों वह तथ्य सामने आते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। अभी इस प्रक्रिया में 7 से 10 दिन समय लग रहा है।

आखिर सात लाख पट्टों से बचेगी साख
शहरों की पुरानी आबादी क्षेत्र के नियमन पर अभियान का पूरा दारोमदार है। अभियान में दस लाख से अधिक पट्टे जारी करने का जो लक्ष्य रखा गया है, उसमें से करीब सात लाख पट्टे पुरानी आबादी क्षेत्र से जारी करने का अनुमान है। पुरानी बसावट के ऐसे प्रकरणों को जल्द से जल्द निस्तारित करने के लिए नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग की ओर से समय-समय पर नियम व प्रक्रियाओं में बदलाव किए जा रहे हैं।

इनमें सार्वजनिक सूचना की अनिवार्यता हटाई
-जिन संपत्तियों के निकाय की ओर से स्टेट ग्रान्ट एक्ट के पट्टे जारी किए गए हो या निर्माण स्वीकृति जारी की गई हो।
-जिन संपत्तियों के तत्कालीन पंचायत की ओर से पट्टे जारी किए गए हों और कृषि भूमि रूपांतरण नियम के तहत भू रूपांतरण किया गया हो।
-ऐसे दोनों मामलों में सार्वजनिक सूचना प्रकाशित नहीं करने की शर्त यही होगी कि फ्री होल्ड पट्टे के लिए मूल संपत्ति मालिक,उत्तराधिकारी अथवा उनसे रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से संपत्ति खरीदने वाले व्यक्ति ने आवेदन किया हो।
अफसरों का यह तर्क

-पुरानी आबादी क्षेत्र के भूखंडों के लिए नियमन के लिए कट ऑफ डेट 31 दिसम्बर 2018 तय की गई है। इस कट ऑफ डेट तक के संपत्तियों के दस्तावेजों के आधार पर शहरी निकायों की ओर से पट्टे दिए जा रहे हैं।
-पट्टे देने से पहले प्राप्त आवेदन पर सार्वजनिक सूचना जारी करने का प्रावधान भी किया गया, लेकिन कई प्रकरण ऐसे हैं, जिनमें मालिकाना हक को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
-सरकार को फीडबैक मिला था कि बेवजह सार्वजनिक सूचना जारी कराने के कारण प्रकरणों के निस्तारण में देरी हो रही है।
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