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इसलिए बुजुर्ग अपनी सेहत को लेकर आज ज्यादा कॉन्फिडेंट हैं

locationजयपुरPublished: Jul 13, 2019 07:39:42 pm

Submitted by:

Mohmad Imran

इसलिए बुजुर्ग अपनी सेहत को लेकर आज ज्यादा कॉन्फिडेंट हैं
-मिथक यह है कि उम्र बढऩे के साथ बुजुर्ग बीमारियों से घिर जाते हैं जबकि सच्चाई यह है कि अब बुजुर्ग अपनी सेहत को लेकर ज्यादा अच्छा महसूस करते हैं-ज्यादातर लोग बुढ़ापे से डरते हैं। लेकिन जब वे इस अवस्थाा में पहुंच जाते हैं तो एहसास होता है कि हम भी कितना कुछ करने में सक्षम हैं।

मिथक- उम्र बढऩे के साथ बुजुर्ग बीमारियों से घिर जाते हैं, सच्चाई- अब बुजुर्ग अपनी सेहत को लेकर ज्यादा अच्छा महसूस करते हैं

मिथक- उम्र बढऩे के साथ बुजुर्ग बीमारियों से घिर जाते हैं, सच्चाई- अब बुजुर्ग अपनी सेहत को लेकर ज्यादा अच्छा महसूस करते हैं

जयपुर। आम अवधारणा है कि जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है बीमारियां हावी होने लगती हैं। लेकिन इस अवधारणा के विपरीत हाल के शोध बताते हैं कि दुनिया भर में स्वस्थ वरिष्ठ नागरिकों की संख्या बढ़ रही है। शारीरिक ताकत के मामले में आज के बुजुर्ग 20 साल पहले की तुलना में वे खुद को 10 साल ज्यादा युवा और तंदुरुस्त महसूस करते हैं।
अमरीकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार समग्र स्वास्थ्य के पैमाने पर 65 से 74 आयु वर्ग के 82 प्रतिशत बुजुर्गों में से 18 फीसदी ने अपनी सेहत को उत्कृष्ट, 32 फीसदी ने बहुत अच्छा और 32 फीसदी ने संतोषजनक बताया। जबकि समूह के 18 प्रतिशत लोगों में से 14 फीसदी ने अपने स्वास्थ्य को काम चलाऊ और 4 फीसदी ने बहुत खराब बताया। शोधकर्ता इस बात से हैरान थे कि यह कैसे हो सकता है जबकि इनमें से 60 प्रतिशत बुजुर्ग मधुमेह, गठिया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे।
शोधकर्ताओं के अनुसार बुजुर्गों की अपनी सेहत के बारे में नजरिया इसमें अहम भूमिका निभाता है। अटलांटा के इमोरी विश्वविद्यालय में समाज शास्त्र के प्रोफेसर और ‘सेल्फ रेटेड हैल्थ’ के शोधकर्ता एलेन इडलर का कहना है कि बुजुर्ग अब भी अपने दम पर जीने में सक्षम महसूस करते हैं, क्योंकि वे अब भी सक्रिय बने हुए हैं। उनके अनुसार बुजुर्ग अपने समय की महामारियों, इलाज के अभाव और युद्धों के बावजूद खुद के अब तक जीवित रहने को अपनी उपलब्धि मानते हैं।
हालात के हिसाब से खुद को ढालना
जीवन में परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेना भी इसमें मददगार बना है। स्वभाव में यह लचीलापन ही उनकी जीवटता का स्रोत है। ज्यादातर शोध बताते हैं कि बुजुर्गों की जीवन के प्रति यह सोच अत्यधिक सार्थक है। ‘सेल्फ-रेटेड हैल्थ’ थ्योरी बुजुर्गों में दीर्घायु होने की उम्मीद जगाता है। एक कारण यह भी है कि जो लोग अपने बारे में स्वस्थ महसूस करते हैं वे दूसरों की तुलना में अधिक सक्रिय होते हैं और खुद का ख्याल रखते हैं। बुजुर्ग इस स्वस्थ जीवनशैली का श्रेय अपने आशावादी नजरिए, करीबी रिश्तों और सामाजिक सक्रियता को देते है। इसलिए उनके लंबे समय तक स्वस्थ रहने की संभावना भी बढ़ जाती है।

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