अमरीकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार समग्र स्वास्थ्य के पैमाने पर 65 से 74 आयु वर्ग के 82 प्रतिशत बुजुर्गों में से 18 फीसदी ने अपनी सेहत को उत्कृष्ट, 32 फीसदी ने बहुत अच्छा और 32 फीसदी ने संतोषजनक बताया। जबकि समूह के 18 प्रतिशत लोगों में से 14 फीसदी ने अपने स्वास्थ्य को काम चलाऊ और 4 फीसदी ने बहुत खराब बताया। शोधकर्ता इस बात से हैरान थे कि यह कैसे हो सकता है जबकि इनमें से 60 प्रतिशत बुजुर्ग मधुमेह, गठिया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे।
शोधकर्ताओं के अनुसार बुजुर्गों की अपनी सेहत के बारे में नजरिया इसमें अहम भूमिका निभाता है। अटलांटा के इमोरी विश्वविद्यालय में समाज शास्त्र के प्रोफेसर और ‘सेल्फ रेटेड हैल्थ’ के शोधकर्ता एलेन इडलर का कहना है कि बुजुर्ग अब भी अपने दम पर जीने में सक्षम महसूस करते हैं, क्योंकि वे अब भी सक्रिय बने हुए हैं। उनके अनुसार बुजुर्ग अपने समय की महामारियों, इलाज के अभाव और युद्धों के बावजूद खुद के अब तक जीवित रहने को अपनी उपलब्धि मानते हैं।
हालात के हिसाब से खुद को ढालना
जीवन में परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेना भी इसमें मददगार बना है। स्वभाव में यह लचीलापन ही उनकी जीवटता का स्रोत है। ज्यादातर शोध बताते हैं कि बुजुर्गों की जीवन के प्रति यह सोच अत्यधिक सार्थक है। ‘सेल्फ-रेटेड हैल्थ’ थ्योरी बुजुर्गों में दीर्घायु होने की उम्मीद जगाता है। एक कारण यह भी है कि जो लोग अपने बारे में स्वस्थ महसूस करते हैं वे दूसरों की तुलना में अधिक सक्रिय होते हैं और खुद का ख्याल रखते हैं। बुजुर्ग इस स्वस्थ जीवनशैली का श्रेय अपने आशावादी नजरिए, करीबी रिश्तों और सामाजिक सक्रियता को देते है। इसलिए उनके लंबे समय तक स्वस्थ रहने की संभावना भी बढ़ जाती है।
जीवन में परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेना भी इसमें मददगार बना है। स्वभाव में यह लचीलापन ही उनकी जीवटता का स्रोत है। ज्यादातर शोध बताते हैं कि बुजुर्गों की जीवन के प्रति यह सोच अत्यधिक सार्थक है। ‘सेल्फ-रेटेड हैल्थ’ थ्योरी बुजुर्गों में दीर्घायु होने की उम्मीद जगाता है। एक कारण यह भी है कि जो लोग अपने बारे में स्वस्थ महसूस करते हैं वे दूसरों की तुलना में अधिक सक्रिय होते हैं और खुद का ख्याल रखते हैं। बुजुर्ग इस स्वस्थ जीवनशैली का श्रेय अपने आशावादी नजरिए, करीबी रिश्तों और सामाजिक सक्रियता को देते है। इसलिए उनके लंबे समय तक स्वस्थ रहने की संभावना भी बढ़ जाती है।