मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग व न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खण्डपीठ ने अमरनाथ वैश तथा योगेन्द्र राठौड़ सहित अन्य की जनहित याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की। ये याचिकाएं 2009 में दायर की गईं थी, जिनमें संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन कर अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षण 10 साल बढ़ाने के प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी। इस बीच 25 जनवरी 2010 को संविधान संशोधन कर यह आरक्षण 10 साल तक बढ़ा दिया गया और मामला सुनवाई के लिए दिल्ली भेजने के लिए याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर हो चुकी है। हाईकोर्ट ने इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सोमवार को आदेश दिया कि सुप्रीम कोर्ट का इस मामले पर निर्णय के बाद सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट मामला अन्यत्र स्थानान्तरित करने का आदेश देगा तो यहां सुनवाई नहीं होगी।
एससी-एसटी आरक्षण से जुडे़ तथ्य
– संविधान के अनुच्छेद 334 में एससी-एसटी को लोकसभा व विधानसभा सीटों पर आरक्षण का प्रावधान किया गया है
एससी-एसटी आरक्षण से जुडे़ तथ्य
– संविधान के अनुच्छेद 334 में एससी-एसटी को लोकसभा व विधानसभा सीटों पर आरक्षण का प्रावधान किया गया है
– शुरुआत में यह आरक्षण साल तक के लिए दिया गया था
– हर 10 साल बाद यह आरक्षण 10 साल तक के लिए बढ़ाया जाता है – 2009 में आरक्षण 10 साल तक बढ़ाने के लिए 109 वां संविधान संशोधन विधेयक लाया गया
– 25 जनवरी 2010 को 95 वें संविधान संशोधन अधिनियम के जरिए आरक्षण 10 साल तक बढ़ाया गया
– हर 10 साल बाद यह आरक्षण 10 साल तक के लिए बढ़ाया जाता है – 2009 में आरक्षण 10 साल तक बढ़ाने के लिए 109 वां संविधान संशोधन विधेयक लाया गया
– 25 जनवरी 2010 को 95 वें संविधान संशोधन अधिनियम के जरिए आरक्षण 10 साल तक बढ़ाया गया