एमबीबीएस डॉक्टर तैयार करने में लगते हैं साढ़े 5 साल, खर्च होते हैं 3 करोड़, फिर भी नहीं जाते सरकारी सेवा में
Resident Doctor’s Strike: जयपुर . रेजिडेंट डॉक्टर्स और सरकार के अधिकारियों के बीच मंगलवार देर रात तक चली वार्ता में डॉक्टरों की मांगों पर कोई समाधान नहीं निकला। ऐसे में रेजीडेंट डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल को जारी रखने का निर्णय लिया है।
रेजिडेंट और सरकार के बीच हुई वार्ता में डॉक्टरों का कहना था कि डॉक्टरों को लेकर सरकार ने पूर्व में जो आदेश निकाले हैं, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है। अधिकारियों ने वित्त विभाग के वर्ष 2017 के आदेशों की गलतियों को ठीक करने के लिए तीन माह का समय मांगा, लेकिन रेजिडेंट डॉक्टरों ने मना कर दिया। ऐसे में अभी हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया गया है। रेजिडेंट डॉक्टर्स की ओर से नीट पीजी कॉउंसलिंग में देरी होने का भी विरोध जताया जा रहा है।
प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को 11वें दिन भी जारी है। डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल में इमरजेंसी सेवाओं को भी शामिल कर रखा है। ऐसे में हड़ताल के चलते मरीजों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेशभर में सरकारी मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों के आउटडोर में दिनभर मरीज लाइनों में खड़े रहते हैं लेकिन उन्हें उपचार नहीं मिल पा रहा। आउटडोर की कमान वरिष्ठ चिकित्सकों ने संभाल रखी है, लेकिन उनकी संख्या कम कोने के कारण वे सभी मरीजों को ठीक से देख नहीं पा रहे हैं।
हड़ताल के कारण सरकारी अस्पतालों में छोटे-बड़े अधिकतर ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। केवल जरूरी ऑपरेशन ही किए जा रहे हैं। ऐसे में मरीजों की परेशानी और भी ज्यादा बढ़ गई है। हड़ताल के चलते मरीजों को निजी अस्पतालों में ज्यादा पैसा खर्च करके उपचार कराना पड़ रहा है।
प्रदेश में इन दिनों कोरोना की तीसरी लहर का खतरा भी फिर से बढ़ता जा रहा है। कोरोना के नए मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में अगर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म नहीं होती है तो मरीजों की परेशानी और भी बढ़ जाएगी।