जार्ड अध्यक्ष अजीत बागड़ा का कहना है कि रेजीडेंट डॉक्टरों की मांगों पर 16 नवंबर को स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के साथ वार्ता हुई थी। वार्ता में मांगों पर समाधान के लिए 15 दिन का समय मांगा था। 30 नवंबर को मंत्री को फिर मांगों का ज्ञापन दिया। इसके बाद सोमवार को हुई वार्ता में भी कोई नजीता नहीं निकला। वार्ता में सहमति नहीं बनने के बाद आज सुबह 9 बजे से सभी रेजीडेंट हड़ताल पर चले गए हैं।
रेजीडेंट डॉक्टरों का कहना है कि हर बार आश्वासन के सहारे सरकार उनके आंदोनल को खत्म करवा देती है। लेकिन इस बार वे अश्वासन के सहारे आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे। सरकार उनकी मांगों पर जब तक लिखित आदेश नहीं निकालती है तब तक कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अस्पताल में सुरक्षाकर्मियों को बढ़ाने के लिए सरकार एक माह का समय मांग रही है। फीस वृद्धि को लेकर कोई लिखिता आदेश नहीं निकाल रही है।
चिकित्सा शिक्षा में फीस वृद्धि वापस लेने
राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में 24 घंटे केन्द्रीयकृत सुरक्षा व्यवस्था हो
सभी नॉन सर्विस रेजिडेंट्स चिकित्सकों को स्टाइपेंड पर एचआरए दिया जाए
सेवारत रेजिडेंट चिकित्सकों को एसआरशिप के लिए एनओसी एक वर्ष तक दी जाए
एनओसी राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में मान्य घोषित किया जाए
पीजी थीसिस और कॉपी जांच प्रक्रिया को 2017 में हुए समझौते के तहत यथावत रखा जाए
मूलभूत आवश्यकताओं जैसे- पेयजल, मैस, कैंटीन की पुख्ता व्यवस्था की जाए
रेजीडेंट डॉक्क्टर्स के हड़ताल पर चले जाने के कारण मंगलवार सुबह अस्पताल की व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई। एसएमएस अस्पताल में मरीज परेशान होते नजर आए। डॉक्टर चैंबर के बाहर लंबी-लंबी लाइनें नजर आई। दूर दराज से आए मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा। इस दौरान कई मरीज तो बिना इलाज ही लौट गए। मरीजों का कहना था बार बार हड़ताल पर जाने से हमे बहुत परेशानी होती है।