मृत रेजिडेंट के पिता सोमेश और मां अंजू का बार बार यह आरोप है कि दो महीनेे में ही उनका सब कुछ खत्म हो गया। इस तरह का व्यवहार उनकी बच्ची ने कभी देखा ही नहीं था। उधर, एसएमएस मुर्दाघर के बाहर साक्षी की मां अंजू ने कहा कि बच्ची की परेशानी के बारे में अस्पताल की फेकल्टी से भी बात की गई थी। उसे गणगौरी अस्प्ताल में शिप्ट करने की बात भी चल रही थी। वहीं जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले महिला अस्पताल के लेबर रूम में भी सीनियर्स ने उसके साथ दुव्र्यवहार किया था। माता पिता के मुताबिक साक्षी ने इसी साल 8 मई को एसएमएस मेडिकल कॉलेज ज्वाइन किया था।
कई बार 24 घंटे या उससे ज्यादा भी काम के दबाव में रहते हैं रेजिडेंट एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबंधित सवाई मानसिंह अस्पताल, जेके लोन सहित अन्य अस्पतालों में पहले भी रेजिडेंटस की ओर से काम के अत्यधिक दबाव के आरोप लगाए जाते रहे हैं। सुपर स्पेशियलिटी सहित महत्वपूर्ण विभागों में तो कई बार रेजिडेंटस को 24 घंटे या उससे भी अधिक काम करते हुए देखा जा सकता है। मरीज की दवा जांच पर्ची लिखने सहित मरीज का पूरा उपचार करीब करी उन पर ही निर्भर रहता है।
पूरे राजस्थान में ऐसे हालात इधर, राजस्थान युवा डॉक्टर्स फाउंडेशन के प्रदेश संयोजक डॉ विवेक माचरा ने कहा कि प्रदेश में रेजिडेंट डॉक्टर लंबे समय से प्रशासनिक नाकारापन से परेशान हैं। इसमे उच्च स्तरीय सुधार की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि साक्षी के प्रकरण की गहन जांच कर उसे न्याय दिया जाना चाहिए।