आयोजकों के फूल गए हाथ-पांव बिना सम्मान किए ही विधायक के वापस लौट जाने से वीरांगनाएं खफा हो गई। इससे आयोजकों के भी हाथ-पांव फूल गए। नाराज वीरांगनाएं भी कार्यक्रम से वापस जाने लगी तो आयोजकों ने उन्हें रोकना चाहा लेकिन वे नहीं मानी। उनका कहना था कि जब विधायक के पास समय नहीं है तो उनका कार्यक्रम में आना निरर्थक है। इसके बाद बात धीरे-धीरे विधायक तक पहुंच गई। इससे विधायक भी कश्मकश की स्थिति में फंस गए। उनको लगा कि मामला ज्यादा न बढ़ जाए तो वह कार्यक्रम में वापस आ गए लेकिन तब तक वीरांगनाएं जा चुकी थी।
विधायक ने कहा, समय पर नहीं आईं वीरांगनाएं
इधर, विधायक झाबरसिंह खर्रा का कहना था कि कार्यक्रम में वीरांगनाएं तय समय पर नहीं पहुंच पाई थी। इससे सम्मान समारोह समय पर शुरू नहीं हो पाया और मुझे निर्धारित अन्य कार्यक्रम में जाना था। लेकिन जब बाद में पता चला कि वीरांगनाएं आ गई हैं तो मैं वापस आ गया।
इधर, विधायक झाबरसिंह खर्रा का कहना था कि कार्यक्रम में वीरांगनाएं तय समय पर नहीं पहुंच पाई थी। इससे सम्मान समारोह समय पर शुरू नहीं हो पाया और मुझे निर्धारित अन्य कार्यक्रम में जाना था। लेकिन जब बाद में पता चला कि वीरांगनाएं आ गई हैं तो मैं वापस आ गया।
एक ही वीरांगना हुई सम्मानित विधायक के वापस आने के बाद वीरांगनाएं कार्यक्रम से चली गई थी लेकिन वीरांगनाओं को वापस बुलाने की कोशिश भी की गई। लेकिन वीरांगनाएं नहीं आना चाहती थी। हालांकि कार्यक्रम में शहीद सुल्तान सिंह की वीरांगना सजना देवी मौजूद थी। ऐसे में विधायक को उन्हीं का सम्मान करके संतोष करना पड़ा।