तुरई वजन नियंत्रित बनाए रखती है। एक तुरई में अच्छी मात्रा में पानी और बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है। इससे वजन नहीं बढ़ता। इसमें संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल की भी बहुत ही सीमित मात्रा होती है जो वजन कम करने में सहायक होती है।
तुरई जोड़ों के दर्द में फायदा पहुंचाती है। तुरई में विटामिन सी, विटामिन डी पाया जाता है। तुरई, पालक, मेथी, टिंडा, परवल आदि हरी सब्जियां खाने से घुटने के जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। तुरई खाते रहने से ऑस्टियोआर्थराइटिस, अस्थमा और रुमेटीइड गठिया जैसी बीमारियों में राहत मिलती है। तुरई के गुदे को घुटने पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।
तुरई उन सब्जियों में से है जिसमें कॉलेस्ट्रोल की मात्रा ना के बराबर होती है। तुरई में मौजूद घुलनशील फाइबर हमारे शरीर मे से खराब कॉलेस्ट्रोल को हटाने का काम करता है। कॉलेस्ट्रोल कम होने से दिल की बीमारी होने की आशंका भी कम हो जाती है।
अपने खानपान में तुरई को प्राथमिकता से शामिल करने पर हमें सेहत संबंधी कई फायदे हासिल होते हैं। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी है। यह लिवर के लिए भी गुणकारी होती है। तुरई में उपस्थित विटामिन सी, फोलेट और बीटा-कैरोटीन आदि कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से बचाता है। तुरई में बीटा- करोटीन होने से इसे रोजाना खाने से कैंसर होने की आशंका कम होती है।
तुरई में एंटीऑक्सीडेंट और ल्यूनिन जैसे तत्व पाए जाते हैं जो आंखों से संबधित बीमारियों से सुरक्षा करते हैं। तुरई में मौजूद पानी आंखों को ठंडक पहुंचा कर राहत देता है। एंटीऑक्सीडेंट्स न केवल आखों की रोशनी बढ़ाता है बल्कि लंबे समय तक आखों को स्वस्थ रखता है।
तुरई से मुंहासे, एक्जिमा, सोरायसिस आदि त्वचा संबंधी परेशानियों से बचाव होता है। तुरई की सब्जी खाने से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। तुरई की बेल को गाय के मक्खन में घिसकर 3 से 4 बार चकत्ते पर लगाने से चकत्ता ठीक हो जाता है।
तुरई को पीसकर उसके पेस्ट को नारियल के तेल में मिलाकर पांच दिन के लिए रख दें। फिर उसे पानी में उबालकर बोतल में छानकर भर लें। इसे हफ्ते में दो बार लगाने से सफेद बाल से छुटकारा मिल जाता है। तुरई खाने से हमारे बाल कोमल और मजबूत बनते हंै। तुरई में उपस्थित विटामिन सी ड्राइ और दो मुंहें बालों को खत्म करता है। तुरई से हमारे बाल लंबे और घने होते हैं।