कानून के तहत सरकार निर्धारित जनसंख्या, किलोमीटर और भौगोलिक आधार पर गारंटेड सरकारी अस्पताल की सुविधा भी चरणबदृध तौर पर उपलब्ध कराने की गारंटी देने जा रही है। इन अस्पतालों में सरकार की ओर से दी जाने वाली निर्धारित स्वास्थ्य सेवाएं नि:शुल्क मिलेगी। प्रस्तावित कानून में तय किया गया है कि निजी अस्पताल में किसी मरीज की मौत होने और उस समय बिल बकाया होने की स्थि ति में शव नहीं रोका जा सकेगा। बिल को विधानसभा में पारित होने के छह महीने में इसके नियम व शर्तें बनाए जाएंगे। स्टेट हेल्थ अथोरिटी का गठन कर इसकी कार्यकारी समिति बनाई जाएगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय समितियां कानून की पालना सुनिश्चित करेगी।
चार स्तर पर होगी गारंटेड अस्पताल की सुविधा गारंटेड सरकारी अस्पताल की सुविधा जनसंख्या व भौगोलिक स्थि ति को आधार पर मानकर चार स्तर की बनाई जा सकती है। जिसमें गांव—ढाणी स्तर पर उप स्वास्थ्य केन्द्र, कस्बाई स्तर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला स्तर पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल व इससे उपर टर्सरी सेंटर की सुविधा होगी। इसी क्रम में निचले स्तर से रैफर होकर आने वाले मरीजों को बड़े टर्सरी सेंटर अस्पताल में भर्ती किया जाएगा।
अफोर्डेबल शब्द से बना असमंजस मसौदे के प्रावधान में अफोर्डेबल शब्द भी जोड़ा गया है। सरकार की ओर से दी जाने वाली दवा, जांच व सर्जरी सहित अन्य सुविधा के बिंदुओं में सर्जरी के साथ यह उल्लेख किया गया है। जबकि सरकार की ओर से सभी सरकारी अस्पतालों में संपूर्ण कैशलेश इलाज शुरू किया जा चुका है। स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि अफोर्डेबल शब्द निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने वाला है।
.... . सरकार दवा, जांच, इमरजेंसी, परिवहन की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध देगी
. मरीजों और परिजनों के किसी भी वाद—विवाद व शिकायत निपटारे के लिए पोर्टल व हेल्पलाइन काम करेगी
. अस्पताल की लापरवाही प्रमाणित होने की स्थिति में 20 हजार रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान
. कानून की पालना संबंधी सालाना रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएगी
. सरकारी व निजी अस्पताल में उपचार कराने पर मरीज को उसके इलाज से संबंधित सभी दस्तावेज मांगने का अधिकार होगा
. मरीजों को रैफरल परिवहन की सुविधा सरकार उपलब्ध कराएगी
. अस्पताल से बिना चिकित्सकीय अनुमति चले जाने वाले लामा मरीज को भी इलाज का सारांश मांगने का अधिकार होगा
. इलाज में कोई शिकायत होने पर सरकारी व निजी अस्पताल उसकी सुनवाई के लिए कानूनन बाध्य होंगे
. स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के खिलाफ होने वाली बेवजह शिकायत प्रमाणित होने पर इन प्रदाताओं को सुरक्षा देने का प्रावधान भी इस बिल में शमिल किया गया है
. मरीजों और परिजनों के किसी भी वाद—विवाद व शिकायत निपटारे के लिए पोर्टल व हेल्पलाइन काम करेगी
. अस्पताल की लापरवाही प्रमाणित होने की स्थिति में 20 हजार रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान
. कानून की पालना संबंधी सालाना रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जाएगी
. सरकारी व निजी अस्पताल में उपचार कराने पर मरीज को उसके इलाज से संबंधित सभी दस्तावेज मांगने का अधिकार होगा
. मरीजों को रैफरल परिवहन की सुविधा सरकार उपलब्ध कराएगी
. अस्पताल से बिना चिकित्सकीय अनुमति चले जाने वाले लामा मरीज को भी इलाज का सारांश मांगने का अधिकार होगा
. इलाज में कोई शिकायत होने पर सरकारी व निजी अस्पताल उसकी सुनवाई के लिए कानूनन बाध्य होंगे
. स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के खिलाफ होने वाली बेवजह शिकायत प्रमाणित होने पर इन प्रदाताओं को सुरक्षा देने का प्रावधान भी इस बिल में शमिल किया गया है