सप्त ऋषियों का पूजन कर निभाई परंपरा, नहीं भरा मेला
भाद्रपद शुक्ल पंचमी पर रविवार को सादगी से ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) मनाई गई। लोगों ने सप्त ऋषियों का पूजन कर परंपरा निभाई। हालांकि कोविड 19 के चलते कोई बड़े सामूहिक आयोजन नहीं हो पाए। नहर के गणेशजी और गढ़ गणेशजी के ऋषि पंचमी का मेला नहीं भरा। नहर के गणेशजी के सप्त ऋषियों का पूजन कर परंपरा निभाई गई। नहर के गणेशजी मंदिर महंत जय शर्मा के सान्निध्य में सप्त ऋषियों का पूजन किया गया।

सप्त ऋषियों का पूजन कर निभाई परंपरा, नहीं भरा मेला
— नहर के गणेशजी के नहीं भरा मेला
जयपुर। भाद्रपद शुक्ल पंचमी पर रविवार को सादगी से ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) मनाई गई। लोगों ने सप्त ऋषियों का पूजन कर परंपरा निभाई। हालांकि कोविड 19 के चलते कोई बड़े सामूहिक आयोजन नहीं हो पाए। नहर के गणेशजी और गढ़ गणेशजी के ऋषि पंचमी का मेला नहीं भरा। नहर के गणेशजी के सप्त ऋषियों का पूजन कर परंपरा निभाई गई।
नहर के गणेशजी मंदिर महंत जय शर्मा के सान्निध्य में सप्त ऋषियों का पूजन किया गया। गणेशजी के सामने सात दीपक जलाकर मंत्रोच्चारण के बीच ऋषियों का पूजन किया गया। महंत जय शर्मा ने बताया कि पहली बार मंदिर में ऋषि पंचमी का मेला नहीं भरा। मंदिर में सप्त ऋषियों की पूजा—अर्चना कर 5वीं पीढ़ी से चली आ रही परंपरा को निभाया गया। पूजा कर सभी के मंगलकामना की गई और गजानन महाराज व सप्त ऋषियों से कोरोना महामारी से बचाव की कामना की गई।
व्याख्यान और विद्वत् सम्मान समारोह
राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर और आस्था सांस्कृतिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में झालाना स्थित अकादमी संकुल सभागार में ऋषि पंचमी के उपलक्ष्य में व्याख्यान एवं विद्वत् सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसमें विभिन्न विधाओं पर विद्वानों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में महंत हरिशंकर दास वेदान्ती महाराज ने कहा कि आज की पीढियों को सप्तऋर्षियों को स्मरण करने का दिन है। इस दिन वेदाध्ययन करने वाले बटुकों का उपनयन संस्कार होता है। सर्व ब्राह्मण महासभा के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश मिश्रा ने ऋषि पंचमी के महत्व पर विचार व्यक्त किए।
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