scriptRising raw material cost challenge for Alcobev sector | कच्चे माल की बढ़ती लागत एल्कोबेव सेक्टर के लिए चुनौती | Patrika News

कच्चे माल की बढ़ती लागत एल्कोबेव सेक्टर के लिए चुनौती

locationजयपुरPublished: Dec 24, 2021 12:52:59 am

Submitted by:

Jagmohan Sharma

मूल्य निर्धारण सुधार की आवश्यकता

jaipur
जयपुर. देश की एल्कोवेब इंडस्ट्री मुद्रास्फीति के दबाव और कच्चे माल की बढ़ती लागत से चुनौती का सामना कर रही है। थोक मूल्य सूचकांक, जो कि अक्टूबर में 12.54 फीसदी था, नवंबर में बढ़कर 14.23 फीसदी हो गया, जिसके पीछे का मुख्य कारण ईंधन और बिजली की कीमतों में वृद्धि शामिल थी। हालांकि अधिकांश एफएमसीजी फर्मों ने इन लागत वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए कीमतों में वृद्धि की है, लेकिन यह एल्कोबेव सप्लायर्स के लिए उपलब्ध नहीं है। शराब निर्माता सीधे तरीके से कीमतें बढ़ाने में असमर्थ हैं, क्योंकि यह कीमतें राज्य सरकारों द्वारा अपनी आबकारी नीतियों के माध्यम से नियंत्रित की जाती हैं, जो कि अन्य राज्यों में कीमतों के आधार पर एक्स-डिस्टिलरी मूल्य (ईडीपी) तय करती हैं। राजस्थान सरकार को (एसजीएसटी को छोड़कर) 42 फीसदी रेवेन्यू एल्कोबेव इंडस्ट्री से आता है। इसके अलावा, एल्कोबेव इंडस्ट्री परोक्ष रूप से राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन क्षेत्रों में भी योगदान देता है साथ ही यह राज्य में हॉस्पिटैलिटी, होटल और रेस्तरां इंडस्ट्री को सफलता से चलाने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया की चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर नीता कपूर ने मुद्रास्फीति के दबाव और एल्कोबेव क्षेत्र की निरंतरता पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, एल्कोबेव उद्योग बढ़ती इनपुट लागतों की वजह से दबाव का सामना कर रहा है जिसमे कि कांच की बोतलों की लागत, एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल-अल्कोहलिक स्प्रिट, कैप, कार्टन, पीईटी बोतल और लेबल आदि शामिल है। महासचिव सुरेश मेनन ने कहा, बाहरी कारकों, विशेष रूप से ईएनए और कांच की बोतलों से संचालित लागतों में प्रमुख मुद्रास्फीति, साथ ही लॉजिस्टिक, मजदूरी, वैधानिक शुल्क जैसे लाइसेंस और बॉटलिंग शुल्क राजस्थान राज्य सहित अधिकांश राज्यों में देखी जा रही है।
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