वर्तमान विधानसभा की बात की जाए तो 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान अलवर के रामगढ़ में बसपा प्रत्याशी के निधन की वजह से 199 सीटों पर ही चुनाव हो पाया और विधानसभा में 199 विधायक ही चुनकर पहुंचे। इसके बाद रामगढ़ सीट से कांग्रेस की सफिया जुबेर खान जीती। क्रम यही नहीं रुका। इसके बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल और भाजपा के नरेंद्र कुमार संसद पहुंच गए। जिसकी वजह से सीटों की संख्या फिर 198 रह गई। छह महीने के भीतर दोबारा चुनाव हुए और कांग्रेस की रीटा चौधरी व रालोपा के नारायण बेनीवाल ने जीत दर्ज की। जिसके बाद से विधानसभा में सदस्य संख्या 200 हो गई थी, लेकिन त्रिवेदी के निधन के बाद फिर यह संख्या 199 पर पहुंच गई है।
शिफ्टिंग के समय ही दो विधायकों का हो गया था निधन साल 2001 में ज्योति नगर में विधानसभा का नया भवन तैयार हुआ था और यहां शिफ्टिंग होने के समय ही दो विधायकों का निधन हो गया। नए भवन में शिफ्टिंग के दौरान ही भीमसेन चौधरी और भीखाभाई का निधन हो गया था। इसके बाद 2002 में कांग्रेस विधायक किशन मोटवानी और विधायक जगत सिंह दायमा का निधन हो गया। यह क्रम जारी रहा और 2004 में तत्कालीन गहलोत सरकार में मंत्री रामसिंह विश्नोई की भी मृत्यु हो गई। 2005 में विधायक अरुण सिंह और 2006 में नाथूराम आहारी की मौत हो गई।
2008 से 13 भी रहा खराब इसी तरह 2008 से 2013 का समय भी विधानसभा के लिए अच्छा रहा। भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ को दारा सिंह एनकाउंटर मामले में जेल जाना पड़ा। तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री महिपाल मदेरणा चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड और मंत्री बाबूलाल नागर भी दुष्कर्म के मामले में जेल चले गए।
वास्तु दोष की हमेशा रही चर्चा मौजूदा भवन में वास्तु दोष को लेकर कई बार चर्चा हो चुकी है। विधायक विधानसभा भवन को गंगाजल से शुद्ध कराने की मांग कर चुके है। साथ ही विधानसभाध्यक्षों को भी वास्तुशास्त्रियों से सलाह लेने की बात तक कह चुके हैं। राजेंद्र राठौड़ तो जांच कमेटी बनाने की बात तक कह चुके हैं। पूर्व विधायक कालूलाल गुर्जर तो हवन—पूजन करने की सलाह भी दे चुके हैं।