आरजेएस में बेटियों ने मारी बाजी, साबित किया बेटियां किसी से कम नहीं, तन्वी माथुर द्वितीय रेंक बचपन में बनी थी न्याय की देवी
तीसरी क्लास में फैंसी ड्रेस में बनी न्याय की देवी, अब हकीकत में करेंगी न्याय
कमलेश अग्रवाल / जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट प्रशासन ने आरजेएस भर्ती परीक्षा-2018 का परिणाम घोषित कर दिया। चयनित 197 अभ्यर्थियों में करीब 64 प्रतिशत पद महिला अभ्यर्थियों के खाते में गए हैं। पहले नंबर पर राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी करने वाले छात्र ने कब्जा किया है तो दूसरे नंबर पर जयपुर की छात्रा रही है। सबसे बड़ी बात है कि दोनों ने पहली बार में आरजेएस परीक्षा पास की है। पत्रिका ने परीक्षा में टॉप करने वाले अभ्यर्थियों से बात की।
तन्वी माथुर द्वितीय रेंक कक्षा तीन में पढ़ते हुए फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में तन्वी न्याय की देवी बनी थी। उसे तीसरा पुरस्कार मिला था। तन्वी तब नहीं जानती थी कि न्याय की देवी कौन है उसका क्या काम होता है लेकिन जब बड़ी हुई तो उसने कानून को अपना कार्य क्षेत्र बनाया। पहले ही प्रयास में तन्वी ने आरजेएस में पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान बनाया है। तन्वी ने बताया कि बचपन में उसे नहीं पता था न्याय की देवी कौन है लेकिन अब जब उसे न्याय करने की जिम्मेदारी मिली है। शुरूआत से ही उसकी रूचि न्यायपालिका के क्षेत्र मे जाने को लेकर था। उसके मामा प्रेमिल कुमार माथुर भी वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी है औ उनकी बहन भी न्यायिक अधिकारी है।
हिमानी जैन सातवीं रैंक बेटियां किसी से कम नहीं होती सांगानेर निवासी हिमानी जैन ने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की है। पिछली बार मुख्य परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू में कुछ अंकों से असफल होने के बाद फिर से पूरी मेहनत के साथ तैयारियों में जुट गई थी। हिमानी की मेहनत और ललक ने इस बार प्रदेश में 7वी रैंक पर पहुंच बनाई है। हिमानी अभी कंपनी सेक्रेटरी है तथा कंपनी सेक्रेटरी की पढ़ाई के दौरान ही उसे कानून की किताबें पढ़ने का मौका मिला और उनसे प्रभावित होकर उसने न्यायिक सेवा में आने की सोची। और राजस्थान विश्वविद्यालय में एलएलबी में प्रवेश लिया।
हिमानी तीन बहनें है और लेकिन हिमानी ने आरजेएस बनकर साबित कर दिया कि बेटियां भी बेटों से कम नही है। हिमानी के पिता महेश चंद जैन निजी कंपनी में लेखाकार है वहीं माता श्रीमती मृदुला जैन गृहिणी है।