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दरिन्दों की आसान शिकार सड़क पर रहने वाली बच्चियां, दुष्कर्म के 85 फीसदी मामलों में ये ही बनती हैं शिकार

locationजयपुरPublished: Aug 30, 2017 09:30:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

राजधानी में बड़ी संख्या में बच्चियां सड़क या कच्ची बस्तियों में असुरक्षित माहौल में रहने को मजबूर हैं। आए दिन ये दरिन्दगी-यौन शोषण की शिकार हो रही हैं

Rape
जया गुप्ता/जयपुर। लम्बी-चौड़ी योजनाओं और भारी-भरकम खर्च के बावजूद राजधानी में बड़ी संख्या में बच्चियां सड़क या कच्ची बस्तियों में असुरक्षित माहौल में रहने को मजबूर हैं। सरकार इन्हें न तो छत मुहैया करा पा रही व न शिक्षा से जोड़ पा रही है। आए दिन ये दरिन्दगी-यौन शोषण की शिकार हो रही हैं। दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के बीच तथ्य यह है कि दरिन्दगी की शिकार होने वाली अधिकांश बच्चियां कच्ची बस्तियों या सड़कों पर रहने वाली हैं, या उनके साथ दरिंदगी ऐसी जगह हुई। राजधानी में 2016 व 2017 में यौन हिंसा से पीडि़त बच्चियों में से 85 फीसदी कच्ची बस्तियों या सड़कों पर रहने वाली थीं। गृह विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में तीन वर्षों में बच्चियों से यौन हिंसा के कुल 5995 मामले सामने आए। 2014 में 2026, 2015 में 1936 व 2016 में 2033 मामले दर्ज हुए।
पीडि़त भगवान भरोसे
दुष्कर्म पीड़ित बच्चियों से मिलने नेता-मंत्री अस्पताल पहुंचते हैं, ज्यादातर को आश्वासन दे पाते हैं, राहत नहीं। कई मामले ऐसे हैं, जिनमें अस्पताल से छुट्टी मिलते ही बच्ची और परिजन कहां गए, कुछ पता नहीं है।
यह होना चाहिए
सड़कों-कच्ची बस्तियों में बच्चियों की सुरक्षा पर सरकार विशेष ध्यान दे। पीडि़त बच्चियों को विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए तुरंत मुआवजा मिले। बच्चियों का पुनर्वास हो, उन्हें स्कूल-शिक्षा से जोड़ा जाए। बच्चियों के परिजनों को भी रोजगार से जोड़ा जाए।
हो चुकीं दिल दहला देने वाली घटनाएं
केस 01
फरवरी, 17 में रामनिवास बाग में फुटपाथ पर रहने वाली 5 साल की बच्ची से पास रहने वाले खानाबदोश ने दुष्कर्म किया। बच्ची गंभीर हालत में मिली। जेके लोन से छुट्टी मिलने के बाद बच्ची और मां कहां गई, पता नहीं।
केस 02
जून, 17 में श्यामनगर क्षेत्र में घरों में काम करने वाली महिला की 8 साल की बच्ची के साथ प. बंगाल के व्यक्ति ने छेड़छाड़ की। वह बच्ची को शिकार बनाता, इससे पहले मां वहां पहुंची और बच्ची को बचा लिया।
केस 03
हाल ही करणी विहार क्षेत्र की कच्ची बस्ती में माता-पिता के साथ सो रही 6 साल की बच्ची को पड़ोसी युवक उठा ले गया। फिर उससे दुष्कर्म किया। विरोध करने पर पत्थर मारकर घायल कर दिया।
2011-15 तक दुष्कर्म
जिला मामले
जयपुर ग्रामीण 103
जयपुर शहर 187

बच्चियों से यौन हिंसा वर्ष मामले
2016 186
2015 171
2014 171

बस्तियों में पालनागृह या सरकारी क्रेच हो
– कच्ची बस्तियों-सड़कों पर बच्चियां असुरक्षित माहौल में रह रही हैं। ये बच्चे अपराधियों के लालच में आसानी से आ जाते हैं। ऐसे स्थानों पर घर के सभी बड़े सदस्य कमाने जाते हैं व बच्चे घरों में अकेले रहते हैं। ऐसी बस्तियों में पालनागृह, शिशुगृह या सरकारी क्रेच होने चाहिए। कोई भी परिवार सड़क पर नहीं रहना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि सड़कों पर रह रहे लोगों को राज्य सरकार पक्का शेल्टर दे। बच्चियां सड़कों पर नहीं, उन शेल्टर होम में ही रहें।
रश्मि जैन, समाजशास्त्री।
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