सरकार ने खींच लिए थे हाथ
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय ग्रामीण बस सेवा को इसी मॉडल पर शुरू किया गया था। इसके बाद वर्तमान सरकार के शुरुआत सवा साल में भी ये सेवा चली, लेकिन सरकार को इससे खासा नुकसान हुआ। जिसके चलते सरकार ने इस योजना को खत्म कर दिया।
इसलिए पड़ी जरूरत
जेसीटीएसएल के पास नई बसों की खरीद के लिए पैसा नहीं है। पुरानी बसें 2010-11 में खरीदी गई थी। जो कंडम हो चुकी है। करीब 150 बसें इस साल और शेष बसें अगले साल मार्च तक कंडम हो जाएगी। एेसे में नई बसें खरीदना जरूरी रहेगा। जयपुर शहर के लिए करीब 300 नई बसों की आवश्यकता पड़ेगी।
रोडवेज भी कर सकता है संचालन
जेसीटीएसएल की बसों का शुरुआत में रोडवेज ने संचालन किया था। इसके बाद जेसीटीएसएल ने खुद के स्तर पर बसों का संचालन शुरू किया। अगर अब भी जेसीटीएसएल चाहे तो रोडवेज इन बसों का संचालन कर सकता है। इससे जेसीटीएसएल को नुकसान का पैसा भी नहीं देना पड़ेगा।
ये भी हुए निर्णय
-चालक-परिचालकों का प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 2 लाख रुपए का इंश्योरेंस करवाया जाएगा।
-स्टेट इंश्योरेंस की मेडीक्लेम पॉलिसी के तहत भी चालक-परिचालकों को लाभ दिया जाएगा।
फैक्ट फाइल
-बसों के संचालन पर प्रति किमी 65 रुपए आ रहा है खर्च
-संचालन से करीब 30 रुपए प्रति किमी हो रही है कमाई
-इस साल घाटा 50 करोड़ रुपए पहुंचने की संभावना
-पिछले साल के मुकाबले घाटे में 10 करोड़ का होगा इजाफा
-करीब 1000 परिचालक और 750 चालक कार्यरत
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कंडम हो चुकी बसों के स्थान पर 300 नई बसें चलाई जाएंगी। इसके लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके अलावा कर्मचारियों का इंश्योरेंस भी करया जाएगा।
अशोक लाहोटी, महापौर