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रोडवेज को 100 करोड़ का सीधा फटका

locationजयपुरPublished: Oct 05, 2018 05:42:33 pm

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रोडवेज को 100 करोड़ का सीधा फटका

रोडवेज को 100 करोड़ का सीधा फटका

– १९ दिन की हड़ताल में ५.३२ करोड़ का नुकसान रोज
– ढीले रवैये ने बढ़ा दी है परेशानी

सिटी रिपोर्टर, जयपुर। रोडवेज की ***** जाम हड़ताल का शुक्रवार को उन्नीसवां दिन था। हड़ताल पर अनदेखी और ढि़ले रवैये ने सिसकती हुई रोडवेज को सौ करोड़ का फटका सीधे तौर पर और लगा दिया है। जी हां, उन्नीस दिन बसें जाम रही तो सौ करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है। लेकिन ध्यान देने वाला कोई नहीं है। कर्मचारी अपनी मांगों पर डटे हैं तो प्रबंधन अपनी दुहाई देकर अड़ा हुआ है।
ये है सौ करोड़ का गणित दरअसल रोडवज की ४७०० बसें रोड १७ लाख किमी का चक्कर लगाती हैं। दिन भर में कमाई करीब ५.३२ करोड़ की होती है। ऐसे में अगर १९ दिनों की बात करें तो इन दिनों में रोडवेज के नहीं चलने से १०१ करोड़ की आमदनी का नुकसान हुआ है। ऊपर से कर्मचारियों समेत बाकी बकाया जस की तस सिर पर पड़ा हुआ है।
तीन माह में दूसरी हड़ताल

बात अगर इस हड़ताल की करें तो हड़ताल पहली बार नहीं हो रही है। पिछले तीन महीने में दो बार हड़ताल हो चुकी है। पहली बार हड़ताल 25 से 27 जुलाई को की गई थी। हड़ताल की शुरुआत एक दिन से की गई और फिर यह तीन दिन तक चली। इसी समझौते की बातों को लागू करने के लिए रोडवेज कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चे ने दोबारा ***** जाम किया।
घाटे पर डालें एक नजर
अगर घाटे की बात करें तो घाटा दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। पिछले पांच सालों में तो घाटा दिन दुनी गति से बढ़ रहा है। घाटे को दो भागों में देखें तो साल 1997-98 से लेकर 2013-14 तक यह घाटा 2100 करोड़ रुपए रहा तो वहीं साल 20114 से लेकर साल 2018 तक यह घाटा बढकऱ 2500 करोड़ रुपए हो गया।
यात्री परेशान, परिवार हलकान

घाटे के साथ ही हड़लात की दोहरी मार यात्रियों पर भी पड़ रही है। एक दिन में रोडवेज की बसें १० लाख यात्रियों को यात्रा करवाती है। ऐसे में १९ दिन में एक करोड़ ९० लाख यात्री रोडवेज में सफर करने से महरूम रहे हैं। इसका सीधा फायदा निजी बसों को मिला है। उन्होंने मनमानी ढंग से चांदी लूटी है।
इनका कहना है…
– हम तो शुरू से कह रहे हैं कि बात की जा सकती है। वाजिब मांगें तो माननी होंगी। नुकसान रोडवेज का ही हो रहा है। प्रबंधन के अड़े रहने से कोई रास्ता नहीं निकलेगा। १९ दिन में सौ करोड़ का नुकसान तो यूं ही हो गया है।
– एमएल यादव, प्रदेश अध्यक्ष एटक

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