ईडी ने तैयारी की सवालों की सूची
महाजन फील्ड फायरिंग क्षेत्र की जमीनों के सौदे को लेकर वाड्रा प्रर्वतन निदेशालय में पेश होंगे। 275 बीघा जमीन खरीद मामले में प्रर्वतन निदेशालय ने सवालों की लंबी सूची तैयार की हैं। गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछताछ से पहले रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी पर रोक भी लगाई हुई हैं।
महाजन फील्ड फायरिंग क्षेत्र की जमीनों के सौदे को लेकर वाड्रा प्रर्वतन निदेशालय में पेश होंगे। 275 बीघा जमीन खरीद मामले में प्रर्वतन निदेशालय ने सवालों की लंबी सूची तैयार की हैं। गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछताछ से पहले रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी पर रोक भी लगाई हुई हैं।
ये हो सकते हैं सवाल
– जमीन खरीद के सोर्स क्या थे
– मामले में सहयोगियों की क्या भूमिका
– वाड्रा की ओर से लिए गए राजनीतिक लाभ पर सवाल क्या यह पूरा मामला
प्रर्वतन निदेशालय के अनुसार बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिग रेंज में नियम के खिलाफ आवंटित 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनी स्काईलाट हॉस्पिटलिटी ने खरीदी थी। ये जमीन महाजन फील्ड़ फायरिग रेंज के विस्थापितों के नाम से फर्जी आवंटन से जुड़ी है। यहां जिन लोगों के नाम पर जमीनों का आवंटन हुआ था, वे असल में थे ही नहीं, कुछ लोगों ने क्षेत्र के तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी सहित अन्य सरकारी कर्मचारियों से मिलकर जमीन को 2006-07 में अपने नाम कराकर बेचना शुरू किया। इसी दौरान वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट ने पहले 150 बीघा और फिर 125 बीघा जमीन खरीदी। मामले का खुलासा 2010 में हुआ, लेकिन मामला वाड्रा से जुड़ा होने के कारण तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। 2014 में इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया। इनमें चार केस वाड्रा की कंपनी से जुड़े हुए हैं, फर्जी आवंटन से जुड़े 16 केस गजनेर और दो केस कोलायत पुलिस थाने में वर्ष 2014 में दर्ज हुए थे।
– जमीन खरीद के सोर्स क्या थे
– मामले में सहयोगियों की क्या भूमिका
– वाड्रा की ओर से लिए गए राजनीतिक लाभ पर सवाल क्या यह पूरा मामला
प्रर्वतन निदेशालय के अनुसार बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिग रेंज में नियम के खिलाफ आवंटित 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनी स्काईलाट हॉस्पिटलिटी ने खरीदी थी। ये जमीन महाजन फील्ड़ फायरिग रेंज के विस्थापितों के नाम से फर्जी आवंटन से जुड़ी है। यहां जिन लोगों के नाम पर जमीनों का आवंटन हुआ था, वे असल में थे ही नहीं, कुछ लोगों ने क्षेत्र के तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी सहित अन्य सरकारी कर्मचारियों से मिलकर जमीन को 2006-07 में अपने नाम कराकर बेचना शुरू किया। इसी दौरान वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट ने पहले 150 बीघा और फिर 125 बीघा जमीन खरीदी। मामले का खुलासा 2010 में हुआ, लेकिन मामला वाड्रा से जुड़ा होने के कारण तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। 2014 में इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया। इनमें चार केस वाड्रा की कंपनी से जुड़े हुए हैं, फर्जी आवंटन से जुड़े 16 केस गजनेर और दो केस कोलायत पुलिस थाने में वर्ष 2014 में दर्ज हुए थे।
ऐसे कमाया था भारी मुनाफा
ईडी को मिली जानकारी में सामने आया कि स्काइलाईट हॉस्पिटैलिटी ने 69.55 हेक्टेयर की जमीन को 72 लाख रुपए में खरीदा और फिर तीन साल बाद उसे 5.15 करोड़ रुपये में बेच दिया। इस तरह से कंपनी को 4.43 करोड़ रुपए का भारी मुनाफा हुआ।
ईडी को मिली जानकारी में सामने आया कि स्काइलाईट हॉस्पिटैलिटी ने 69.55 हेक्टेयर की जमीन को 72 लाख रुपए में खरीदा और फिर तीन साल बाद उसे 5.15 करोड़ रुपये में बेच दिया। इस तरह से कंपनी को 4.43 करोड़ रुपए का भारी मुनाफा हुआ।