राजनीतिक दल व नेता मतदाताओं तक पहुंच बनाने में सोशल मीडिया ( social media ) की भूमिका अच्छी तरह समझ चुके हैं। यही वजह है कि इस आम चुनाव ( lok sabha election 2019 ) में सोशल मीडिया व मोबाइल एप्स के जरिए राजनीतिक पोस्ट व वीडियो वोटरों तक भेजे जा रहे हैं। यह वीडियो न सिर्फ वोटरों को लुभा रहे हैं, बल्कि वोटिंग को भी प्रभावित कर रहे हैं। देश में कुल 90 करोड़ वोटर हैं और अनुमान है कि 30त्न वोटर सोशल मीडिया के इस्तेमाल से प्रभावित हो सकते हैं।
दिमागी खेल ज्यादा
यह चुनाव अब दिमागी खेल ज्यादा हो गया है। मतदाताओं से संबंधित डेटा के माध्यम से उनके ऑनलाइन बिहेवियर को समझ कर राजनेता और राजनीतिक दलों की सोशल मीडिया टीम ऐसे पोस्ट व वीडियो तैयार कर रही हैं, जो कि वोटर को अपने पक्ष में प्रभावित कर सकें।
यह चुनाव अब दिमागी खेल ज्यादा हो गया है। मतदाताओं से संबंधित डेटा के माध्यम से उनके ऑनलाइन बिहेवियर को समझ कर राजनेता और राजनीतिक दलों की सोशल मीडिया टीम ऐसे पोस्ट व वीडियो तैयार कर रही हैं, जो कि वोटर को अपने पक्ष में प्रभावित कर सकें।
भाजपा: डिजिटल माध्यम की ताकत को भाजपा ने 2014 चुनाव में ही समझ लिया था। उत्तरी राज्यों में पार्टी के पास 25 हजार से ज्यादा वॉट्सऐप ग्रुप हैं। सोशल मीडिया यूजरों को प्रभावित करने में भाजपा दूसरे दलों से आगे है।
कांग्रेस: पार्टी ने अपने सभी उम्मीदवारों को निर्वाचन क्षेत्र का सूचीबद्ध डेटादिया है। इसमें घरों, नए वोटरों, मिसिंग वोटरों, स्थानीय मुद्दों से संबंधित जानकारी है। पार्टी ऑन ग्राउंड गतिविधियों को ऐप के माध्यम से ट्रैक करती है।
आप: आम आदमी पार्टी ने डेटा शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की टीम के साथ चुनावी रणनीति तैयार की है। बूथ स्तर पर स्वयंसेवकों की पहचान करने के लिए डेटा का उपयोग किया है। सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है।
टीडीपी: तेलुगू देशम पार्टी ने भी सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग किया। कार्यकर्ताओं ने टेक्नोलॉजी के माध्यम से पार्टी की ओर से किए गए वादों और उन्हें निभाने की जानकारी मतदाताओं तक पहुंचाई, ताकि भरोसा जीत सकें।
अन्य: सपा ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल गठबंधन की अहमियत समझाने के लिए किया है। वहीं डीएमके ने फस्र्ट टाइम वोटरों को साधने के लिए डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल किया, जिनमें आईटी प्रोफेशनल व विद्यार्थी शामिल हैं।