अब तक कागजों से ही बाहर नहीं निकल पाए इस प्रोजेक्ट को 9 साल पहले तत्कालीन अधीक्षक डॉ.नरपत सिंह शेखातव ने बनाया था। उसके बाद से अब तक जितने भी अधीक्षक आए, उनमे से कोई भी इसे पूरा ही नहीं कर पाया। अब एक बार फिर अस्पताल में अधीक्षक बदले हैं और आस बंधी है कि इसी साल इस प्रोजेक्ट को नए सिरे से हरी झंडी मिल जाए। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार की अनुमति मिलने के बाद इसका अब नए सिरे से प्रोजेक्ट बनाया जाएगा।
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दरअसल, इस कॉटेज प्रोजेक्ट को शुरूआत में दानदाता के सहयोग से करीब 25 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाना था। इसमे से करीब आधी राशि यानि करीब 13-14 करोड़ रुपए दानदाता को देनी थी, शेष राशि राज्य सरकार वहन करने वाली थी। लेकिन इसके बाद कोई प्रगति इसमे नहीं हुई।
वेटिंग में आएगी कमी
इस समय अस्पताल में करीब 125 कॉटेज हैं। जिससे यहां हर समय कॉटेज की मारामारी रहती है। जबकि नए प्रोजेक्ट के बाद यह संख्या करीब 250 होनी थी। जिससे वेटिंग की समस्या काफ हद तक खत्म हो सकती थी। वर्तमान में यहां कॉटेज समानान्तर बने हुए हैं, लेकिन नए प्रोजेक्ट में बहुमंजिला बनना था। ऐसा होने पर शेष स्थान का अन्य उपयोग भी हो सकता था।
फिर बढ़ेगी लागत
शुरूआत में यह प्रोजेक्ट करीब 25 करोड़ का थबाद में इसकी लागत 54 करोड़ तक पहुंच गई अब इसके 54 करोड़ से भी ज्यादा जाने की आशंका है.
कॉटेज प्रोजेक्ट हमारी प्राथमिकताओं में है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार नए सिरे से प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे।
– डॉ.डी.एस.मीणा, अधीक्षक, सवाई मानसिंह अस्पताल.