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वर्तमान जीवन पद्धति पर्यावरण के अनुकूल नहीं- मोहन भागवत

locationजयपुरPublished: Aug 30, 2020 08:47:11 pm

Submitted by:

Umesh Sharma

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ समय से हम इस सोच के साथ जी रहे हैं कि प्रकृति का दायित्व मनुष्य पर नहीं है। मनुष्य का पूरा अधिकार प्रकृति पर है। जिसका दुष्परिणाम सबके सामने है। यदि ऐसे ही चलता रहा तो न हम लोग बचेंगे और न ही सृष्टि बचेगी।

वर्तमान जीवन पद्धति पर्यावरण के अनुकूल नहीं- मोहन भागवत

वर्तमान जीवन पद्धति पर्यावरण के अनुकूल नहीं- मोहन भागवत

जयपुर।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ समय से हम इस सोच के साथ जी रहे हैं कि प्रकृति का दायित्व मनुष्य पर नहीं है। मनुष्य का पूरा अधिकार प्रकृति पर है। जिसका दुष्परिणाम सबके सामने है। यदि ऐसे ही चलता रहा तो न हम लोग बचेंगे और न ही सृष्टि बचेगी। भागवत रविवार को हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन व आरएसएस की पर्यावरण गतिविधि की ओर से आयोजित प्रकृति वंदन कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि दुनिया में अभी जो जीवन जीने का तरीका प्रचलित है, वह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। यह तरीका प्रकृति को जीतकर मनुष्य को जीना सिखाता है। जबकि हमें प्रकृति का पोषण करना है, शोषण नहीं। पर्यावरण का संरक्षण कैसे हो, इस पर सभी को सोचना चाहिए। इस तरह के कार्यक्रम के माध्यम से उस संस्कार को जीवन में पुनर्जीवित करना है और आने वाली पीढ़ी भी यह सीखे, यह ध्यान रखना है। सरसंघचालक ने कहा कि भारत में जीने का तरीका अलग है। पेड़ में भी प्राण हैं, यह शुरू से भारत के लोग जानते हैं। शाम में पेड़ को नहीं छुआ जाता था। अपने यहां घरों में सबका पोषण करने का भाव शुरू से रहा है। चींटी, गौ, कुत्ता व जरूरतमंद आदि को भोजन घरों में कराया जाता रहा है।
उन्होंने कहा कि अपने जीवन जीने के तरीके में क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह तय है, लेकिन भटके हुए तरीके के प्रभाव में आकर सब भूल गए। इसलिए अब पर्यावरण दिवस के रूप में मनाकर स्मरण कराना पड़ रहा है, करना भी चाहिए। आने वाली पीढ़ी में प्रकृति को जीवंत रखने का भाव जगाना है। ऐसा करेंगे, तब 350 वर्षों में जो क्षति हुई है, उसे अगले 200 वर्षों में ठीक कर सकते हैं। कार्यक्रम के सह संयोजक सोमकांत शर्मा ने बताया कि प्रकृति वंदन कार्यक्रम में राजस्थान से 1 लाख तथा पूरे देश भर से करीब 8 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया।
भारती भवन में किया बिल्व का पूजन

वहीं संघ कार्यालय भारती भवन में भी प्रकृति वंदन किया गया। संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख स्वांत रंजन ने मंत्रोच्चार के साथ बिल्व वृक्ष का पूजन किया। जहां वरिष्ठ प्रचारकों ने बिल्व की आरती कर प्रकृति माता के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। इस दौरान सेवा भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री मूलचंद सोनी, प्रौढ़ कार्य प्रमुख कैलाशचंद्र, सत्यनारायण, कार्यालय प्रमुख सुदामा, उदयसिंह, गोपाल आदि उपस्थित रहे।
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