वाद्य यंत्रों के आधार पर भी होगा नामकरण- शिविर के सह व्यवस्था प्रमुख अशोक मित्तल ने बताया कि आवासों का नाम अलग अलग क्षेत्रों में काम लिए जाने वाले वाद्य यंत्रों के आधार पर रखा गया है। उदाहरण के तौर पर शेखावाटी से आने वाले स्वयंसेवकों के प्रवास स्थल का नाम ढाणी चंग रखा गया है। इसी तरह जयपुर महानगर के स्वयंसेवकों के प्रवास स्थल का नाम मोर चंग, सांगानेर के स्वयंसेवकों के प्रवास स्थल का नाम खरताल रखा गया है। जबकि भोजन कक्ष का नामकरण जीवन ठोर और सभा कक्ष ज्ञान गोठ का नाम किशन भैया चौपाल रखा गया है।
वहीं कार्यक्रम को देखते हुए पूरे शिविर की व्यवस्थाओं के लिए 200 स्वयंसवेकों को प्रबंधक बनाया गया है।
वहीं कार्यक्रम को देखते हुए पूरे शिविर की व्यवस्थाओं के लिए 200 स्वयंसवेकों को प्रबंधक बनाया गया है।
3 नवंबर को आएंगे भागवत- कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मोहन भागवत 3 नवंबर को जयपुर पहुंचेंगे। जिसके बाद लगभग 11 बजे शिविर स्थल पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। वहीं जयपुर पहुंचते ही वे सबसे पहले भारती भवन जाएंगे। इसी दिन 108 तरह के वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति होगी। जो कि सभी के लिए खुला रहेगा। जहां 4 नवंबर को गुरूनानक जयंती पर प्रकाश उत्सव का आयोजन किया जाएगा। उसके बाद 5 नवंबर को वैशाली नगर स्थित चित्रकूट स्टेडियम में सार्वजनिक कार्यक्रम स्वर गोविंदम होगा। शिविरार्थियों के लिए सब्जी और अल्पाहार शिविर स्थल पर ही तैयार होगा। जबकि चपतियां स्वयंसेवकों के घरों से बनकर आएगी।