सर संघचालक 20 सितंबर को जोधपुर आएंगे। वे 21-26 सितंबर तक नागौर रहेंगे। इस दौरान राजस्थान के जयपुर, जोधपुर और चित्तौड़ प्रांत की बैठकें होंगी। वे 27 सितंबर को जयपुर आएंगे। जयपुर उनका 30 सितंबर तक रुकने का कार्यक्रम है। 30 की रात को ही वे से प्रस्थान कर जाएंगे।
जयपुर में वे कुछ संस्थाओं के कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। सर संघचालक का दौरा हर साल हो रहा है, लेकिन प्रदेश में इस साल विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। एेसे में दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे संघ से भाजपा में गए कुछ नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं। सीएम वसुंधरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी, सह संगठन मंत्री वी सतीश, संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर, शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी समेत कुछ नेताओं की उनसे मुलाकात हो सकती है।
हालांकि, अभी इन नेताओं के मिलने का कार्यक्रम पूरी तरह से तय नहीं हुआ है। नेताओं के मिलने का कार्यक्रम भागवत के राजस्थान आने के बाद ही तय होगा। इसके अलावा भागवत विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों, समाज और संगठन के प्रमुख लोगों और कुछ संतों से भी मिल सकते हैं।
हमारा कोई विरोधी नहीं
आरएसएस ने हाल ही में आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के मंत्रालयम में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय चिंतन बैठक में कांग्रेस द्वारा की गई आलोचना पर पलटवार किया था। संघ ने कहा था कि उसका कोई विरोधी नहीं है और वह राष्ट्रीय हितों के लिए काम करती है। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा था कि संघ किसी को भी अपना विरोधी नहीं मानता है। संघ पूरे समाज को राष्ट्रहित मेें एकजुट करने के लिए काम करता है। उन्होंने यह बात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संघ परिवार को लेकर की गई आलोचनात्मक टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कही।
आरएसएस ने हाल ही में आंध्र प्रदेश के कर्नूल जिले के मंत्रालयम में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीय चिंतन बैठक में कांग्रेस द्वारा की गई आलोचना पर पलटवार किया था। संघ ने कहा था कि उसका कोई विरोधी नहीं है और वह राष्ट्रीय हितों के लिए काम करती है। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा था कि संघ किसी को भी अपना विरोधी नहीं मानता है। संघ पूरे समाज को राष्ट्रहित मेें एकजुट करने के लिए काम करता है। उन्होंने यह बात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संघ परिवार को लेकर की गई आलोचनात्मक टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कही।
उन्होंने कहा था कि आरएसएस की बैठकें सिर्फ राजनीतिक तक सीमित नहीं होते हैं, इसलिए लोकसभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। इसमें सभी संघ के पदाधिकारी और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि ज्वलंत मसलों पर चर्चा करने के साथ ही अपने विचार, अनुभव और उपलब्धि को साझा करते हैं।