दो वर्ष से बजट मिलने का इंतजार कर रहे निगम प्रबंधन के सामने शर्त रख दी गई है कि पहले इन होटलों के रेस्टोरेंट और बार को लीज पर दिया जाए। इसके बाद ही होटलों के हेरिटेज लुक संवारने के लिए बजट घोषणा के अनुरूप करोड़ की राशि दी जाएगी। इस नई शर्त से आरटीडीसी प्रबंधन असमंजस में आ गया है कि अब इन होटलों के हेरिटेज लुक को कैसे बरकरार रखा जाए।
मुख्यमंत्री की बजट घोषणा पर उच्च स्तर पर लगाई गई इस नई शर्त ने प्रबंधन को परेशानी में डाल दिया है। अधिकारियों का कहना है कि होटल और बार को लीज पर देने का मतलब है कि इन होटलों का भी धीरे धीरे निजीकरण करना। लीज पर जाने के बाद कमाई भी लीज पर लेने वाले के पास ही रहेगी। ऐसे में होटल प्रबंधन के पास एक धेला भी नहीं आएगा।
निगम बजट घोषणा के अनुरूप इन होटलों के हेरिटेज लुक को संवारने के लिए तैयारियां कर रहा था। अब नई शर्त के बाद तैयारियों पर ब्रेक सा लग गया है। अधिकारियों के अनुसार अगर बजट मिलता तो होटलों की दशा सुधारी जाती और मेहमानों के लिए कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी जुटाते। लेकिन अब इन होटलों को भी यथा स्थिति में ही चलाया जाएगा।
उधर 1 अक्टूबर से आरटीडीसी के सभी होटलों के किराए में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने के बाद बुकिंग गिर रही है। मेहमान होटल की सीढ़ियां चढ़ते जरूर हैं लेकिन किराया सुन कर निजी होटलों की ओर रूख कर जाते हैं। अब इस स्थिति से इन होटलों के कर्मचारी भरे—पूरे पर्यटन सीजन में भी मायूस हैं।